शिमला, सुरेन्द्र राणा: भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि बाबा साहब आंबेडकर जिनके प्रति आज सम्मान का भाव सब अनुभव कर रहे है और हम लोगों के लिए तो वह बहुत विशेष है, क्योंकि हम लोगों के लिए तो जीवन में बहुत बड़ी जो कुछ भी रास्ते मिले वहीं से मिले। बाबा साहेब अंबेडकर इनके प्रति भी, इनके मन में कितनी कटुता भरी थी, कितना द्वेष भरा था, मैं आज उसके डिटेल में जाना नहीं चाहता हूं। लेकिन जब अटल जी की सरकार थी तब बाबा साहब आंबेडकर उनका जो महापरिनिर्वाण भूमि है वहां पर अलीपुर रोड पर अटल जी की सरकार में बाबा साहेब अंबेडकर जी के स्मृति में स्मार्ग बनाना तय हुआ। 10 वर्ष यूपीए की सरकार रही उसने इस काम को नहीं किया ना होने दिया, बाबा साहेब आंबेडकर का जब जब हमारी सरकार आई बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति हमारी श्रद्धा होने के कारण हमने बाबा साहब मेमोरियल बनाया और उसका काम किया। दिल्ली में जब बाबा साहेब आंबेडकर के 1992 में, तब एक निर्णय किया गया था अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का। 40 साल तक वह कागजों में ही पड़ा रहा उसपर काम नहीं किया गया और तब जाकर के 2015 में हमारी सरकार आई और हमने आकर के इस काम को पूरा किया।

बाबा साहब को भारत रत्न देने का काम भी जब कांग्रेस सत्ता से बाहर गई तब संभव हुआ, इतना ही नहीं बाबा साहेब आंबेडकर के सवा सौ साल पर तो हमने पूरी दुनिया में मनाए थे, विश्व के 120 देशों में मानने का काम किया था, लेकिन जब बाबा साहेब अंबेडकर की शताब्दी थी तब अकेली भाजपा की सरकार थी तब मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा हमारे मुख्यमंत्री थे और महू में जहां बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म हुआ था उसको एक स्मार्क के रूप में पुनर्निर्माण करने का काम सुंदरलाल जब मुख्यमंत्री थे तब मध्य प्रदेश में हुआ था।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में बाबा साहब आंबेडकर एक दीर्घ दृष्टा थे समाज के दबे कुचले लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध थे और एक लंबे सोच के साथ भारत को अगर विकसित होना है तो भारत का कोई अंग दुर्बल नहीं रहना चाहिए यह चिंता बाबा साहब को सताती थी और तब जाकर के हमारे देश में आरक्षण की व्यवस्था बनी लेकिन वोट बैंक की राजनीति में खपे हुए लोगों ने डूबे हुए लोगों ने धर्म के आधार पर तुष्टीकरण के नाम पर आरक्षण के अंदर कुछ न कुछ नुक्स निकलने का प्रयास किया और इसका सबसे बड़ा नुकसान एससी एसटी और ओबीसी समाज को हुआ है।

आरक्षण की कथा बहुत लंबी है नेहरू जी से लेकर के राजीव गांधी तक कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण का घोर विरोध किया है हिस्ट्री कह रही है आरक्षण के विरोध में लंबी लंबी चिट्ठियां स्वयं नेहरू जी ने लिखी है, मुख्यमंत्रियों को लिखी है इतना ही नहीं सदन में आरक्षण के खिलाफ लंबे लंबे भाषण इन लोगों ने दिए, बाबा साहेब अंबेडकर समता के लिए और भारत में संतुलित विकास के लिए आरक्षण लेकर के आए, कांग्रेस के नेताओं ने उसके खिलाफ भी झंडा ऊंचा किया हुआ था। दशकों तक मंडल कमीशन के रिपोर्ट को डिबे में डाल दिया था, जब कांग्रेस को देश ने हटाया तब जाकर के ओबीसी को आरक्षण मिला तब तक ओबीसी को आरक्षण नहीं मिला।

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