शिमला, ब्यूरो: हार्ट अटैक अब बड़ी उम्र के लोगों की बीमारी ही नहीं रही। आधुनिक जीवन शैली, पैदल न चलना, शराब-धूम्रपान और जंक फूड का ज्यादा सेवन युवाओं के दिल को भी नुकसान पहुंचा रहा है। हिमाचल प्रदेश में 40 से 60 ही नहीं, 20 से 24 साल के युवाओं को भी हार्ट अटैक आ रहा है। ऐसे में अभी से संभल जाएं क्योंकि यह दिल का मामला है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में हर साल हार्ट अटैक के 3500 से 4000 मामले सामने आ रहे है। आईजीएमसी के ह्रदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीसी नेगी ने बताया कि हिमाचल में 40 साल से कम आयु के 8 फीसदी और 20 साल के कम उम्र के 1 फीसदी युवा हार्ट अटैक की चपेट में आ रहे हैं।
ह्रदय रोग विशेषज्ञ के अनुसार पहले लोग पैदल ज्यादा चलते थे और शारीरिक श्रम करते थे। इस वजह से वह काफी स्वस्थ रहते थे। बदलते समय में अब युवा गाड़ी और बाइकों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे जहां उनका वजन बढ़ रहा है। वहीं जंक फूड के सेवन से शुगर, कॉलेस्ट्राल की समस्या बढ़ रही है, जो हार्ट अटैक का कारण बन रही है। चिकित्सकों का कहना है कि ज्यादातर लोग हार्ट अटैक के लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं। इस वजह से दिल को काफी नुकसान पहुंच जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाजू, जबड़े में दर्द और ठंडे पसीने जैसे लक्षण आएं तो गोल्डन पीरियड यानी की एक घंटे में मरीज अस्पताल आना चाहिए।
इन लक्षणों को पहचानें
चिकित्सकों का कहना है कि हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले सीने में दर्द होता है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है। दर्द बाजू, कंधे से जबड़े तक चली जाती है। कइयों को उल्टियां तक हो जाती हैं। ऐसे लोग जो बेड से उठते ही आंखों के आगे अंधेरा जैसे लक्षण दिखते हैं या फिर ठंडे पसीने समेत चलने के दौरान सांस फूलने जैसी समस्या झेलते हैं, उन लोगों को हार्ट अटैक हो सकता है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि गले से लेकर नाभि तक के दर्द को नजरअदांज नहीं करना चाहिए।
ऐसे लोगों को ज्यादा खतरा
ह्रदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक पीसी नेगी ने बताया कि ऐसे लोग जिनका वजन ज्यादा है, जो बीड़ी-सिगरेट पीते हैं, उनमें भी हार्ट अटैक का खतरा रहता है। इसके अलावा बीपी का बढ़ा होना, डायबिटीज, कॉलेस्ट्राल से भी यह खतरा बना रहता है। ऐसे लोगों को साल में एक बार रूटीन जांच करवानी चाहिए। उन्होंने हिदायत दी कि रोजाना आधा घंटा पैदल वॉक करनी चाहिए।
सर्दियों में रहें संभलकर
सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में जिन लोगों को पहले से हार्ट अटैक हुआ है, उनके लिए ठंड जानलेवा बन सकती है। ठंड के मौसम में नसें ज्यादा सिकुड़ती हैं और वह सख्त बन जाती हैं। नसों को गर्म और एक्टिव करने के लिए ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है। इससे बीपी बढ़ने से हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में एकदम ठंड में जाने से उन्हें जान का नुकसान हो सकता है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि अगर उन्हें सर्दियों के मौसम में वॉक पर जाना है तो गर्म कपड़े पहनकर जाएं।
ऐसे बचें हार्ट अटैक से
संतुलित आहार में हरी सब्जियों का ज्यादा सेवन करें।
वजन पर नियंत्रण के अलावा नियमित व्यायाम करें।
शराब का सेवन और धूम्रपान करने से बचना चाहिए।