शिमला, सुरेंद्र राणा: सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे सरकारी कर्मचारियों की बढ़ती देनदारियों को हिमाचल सरकार चिंता में आ गई है। यहीं वजह है कि हिमाचल सरकार ने 16वें वित्तायोग की टीम के समक्ष राज्य में कर्मचारियों की बढ़ती करोड़ों की देनदारियों के बारे में अवगत करवाया है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि केंद्र में एनपीएस की फसी अनुदान राशि को बापस दिलवाई जाए ताकि पेंशनरों का देय दिया जा सकें।
राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय वित्तीय टीम को अवगत करवाया है कि एक जनवरी 2016 से वेतन तथा पेशन का संशोधन 3-1-2022 तक स्थगित रखा गया। सरकार ने कहा है कि वित्तीय संकट के कारण सरकार अभी तक वेतन संशोधन के बकाए का केवल 10 प्रतिशत और पेंशन संशोधन के बकाए का 20 प्रतिशत ही कर्मचारियों को जारी हो पाया है। शेष १ हजार करोड़ रुपये का बकाया अभी भी लंबित है। सरकार ने केंद्रीय वित्त आयोग के समक्ष रखी। अपनी रिपोर्ट में यह जिक्र किया है कि संबंधित अदालतों के भी आदेश आ रहे है कि स्वरा एरियर व्याज सहित कर्मचारियों को दिया जाए। राज्य सरकार ने कहा है कि कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे आदेश कर दिए है जिसमें कर्मचारियों को उनकी पेंडेंसी देने को कहा है।
राज्य सरकार ने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए कर्मचारियों की देनदारियों को पांच साल में किस्तों के माध्यम से देने का फैसला लिया था। लेकिन कर्मचारियों की बढ़ रही अपेक्षाएं और कोर्ट के आदेशों पर 2026 2027 में ही कर्मचारियों को ब्याज सहित उनका पेंडिंग परिपर व डीए देना पड़ेगा। सूत्रों की मानें तो कर्मचारियों की देनदारियों को चुकाने के लिए हिमाचल सरकार एक मुश्त बजट का प्रावधान कर रही है। यही वजह है कि केंद्रीय वित्तायोग के माध्यम से हिमाचल सरकार ने केंद्र से बजट की मांग की हैं। वहीं कर्मचारियों का करोड़ों का बजट केंद्र की निजी कंपनी से वापस देने का भी मामला उठाया है। गौर हो कि हिमाचल प्रदेश सरकार को लगभग 4 लाख कर्मचारी इसमें पेंशनर भी शामिल इनके आर्थिक लाभों का भुगतान करना है। कर्मचारियों की मानें तो 2016 से फंसे पे स्केल का भुगतान 10 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है।
बताया जा रहा है कि एक-एक कर्मचारियों की देनदारियां सरकार के पास 4 लाख से 10 लाख तक पहुंच गई है। अपर पुराने वित्तीय लाभ कर्मचारियों और पेंशनरों को नहीं दिए गए तो आने वाले समय में यह लायबिलिटी और बड़ जाएगी। जिससे सरकार पर और आर्थिक संकट आ सकता है।