मुख्यमंत्री का स्थाई घर कहा, एक विधानसभा से दूसरी में दौड़ रहे है : बिहारी

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शिमला, सुरेंद्र राणा:भाजपा प्रदेश महामंत्री बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री का कोई स्थिर घर नहीं है ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री भगोड़े बन गए है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि कभी उनका घर शिमला में, नादौन में और अब देहरा में है। समझ नहीं आ रहा कि मुख्यमंत्री कहां के स्थाई निवासी है, मुख्यमंत्री की पत्नी भी देहरा से नहीं अपनीतु जसवान प्रागपुर से आती है।

हर रोज़ मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैं विकास लाऊंगा, पर अगर विकास लाने की इच्छा ही थी तो 18 महीने की सरकार में हिमाचल प्रदेश में विकास कार्य क्यों नहीं हुए ? हमीरपुर देहरा और नालागढ़ विकास से वंचित क्यों रह गया ?

उन्होंने कहा कि हमिरपुर जोन में लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली एक जांच का विषय बन चुकी है, यहां टेंडर दिलवाने के लिए कानूनों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को फायदा दिया जा रहा है । यह काम कोई और नहीं इस प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू खुद करवा रहे है।

मुख्यमंत्री अपने चहेतों को टेंडर दिलवाने के लिए दबाव डाल रहे है, काई बार ये टेंडर नीकालकर उन्हें रदद किया जा रहा है। टेंडर में 100% से ज्यादा डेविएशन किया जा रहा है, आपको बता दें की ऊना डिवीजन के लिए 2 टेंडर की एप्लीकेशन मांगी गयी थी जिसमें 4 लोगो ने पार्टिसिपेट कीया, लेकिन अपने चहेतों के लिए 2 बीड को रिजेक्ट कर दिया गया। पीछले 6 महिने से एक डिवीजन का टेंडर लग रहा है लेकिन अपने चहितों को टेंडर ना मिलने के कारण इसे 10 बार रद्द कीया जा चुका है। इसमें कई नियमों की अंदेखी करके इस गलत काम को अंजाम दिया जा रहा है। सीएम द्वारा अपने दोस्तों और चहेतों को ठोके देना हिमाचल की जनता के साथ एक धोखा भी है।

उन्होंने कहा कि इस मित्रों की सरकार के भ्रष्टाचार के कई मामले जनता के बीच उजागर हो रहे है। कांग्रेस सरकार पूरी तरह एक्सपोज हो रही है। हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड में सात करोड़ से ज्यादा की लागत के एक डिजिटाइजेशन टेंडर को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

यह मामला गंभीर है, मार्केटिंग बोर्ड के एमडी इस टेंडर को दोबारा से करने की बात फाइल पर लिखते रहे, लेकिन कृषि सचिव एवं चेयरमैन मार्केटिंग बोर्ड ने टेंडर अवार्ड कर दिया। अवार्ड करने का फैसला भी टेंडर कमेटी के कई सदस्यों और अध्यक्ष की अनुपस्थिति में हुआ। टेंडर अवार्ड करने में राज्य सरकार के स्थापित वित्तीय नियमों की अनदेखी हुई।

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