धर्म: शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो रहे हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक रहेगी. आज प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि का महापर्व शुरू हो जाएगा. शारदीयन नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की समर्पित होता है. इस दिन लोग घटस्थापना के बाद मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा करते हैं. आइए आपको शैलपुत्री की पूजन विधि बताते हैं.
कौन हैं मां शैलपुत्री?
नवरात्रि के प्रथम दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना होती है. हिमालय की पुत्री होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा जाता है. पूर्व जन्म में इनका नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थी. सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था, इसी कारण सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था.
अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री बनी और भगवान शिव से ही विवाह किया. माता शैलपुत्री की पूजा से सूर्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. मां शैलपुत्री को गाय के शुद्ध घी का भोग लगाना चाहिए. इससे अच्छा स्वास्थ्य और मान सम्मान मिलता है.
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के विग्रह या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें. मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु अति प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पण करें और सफेद बर्फी का भोग लगाएं. मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है.
नवरात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है. जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें.
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश की स्थापना आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है. इस बार प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को दिनभर रहेगी. इसलिए कलश की स्थापना दिनभर की जा सकती है. हालांकि इसके लिए दो अबूझ मुहूर्त भी रहेंगे. पहला शुभ मुहूर्त सुबह 06:30 बजे से सुबह 07:31 बजे तक रहेगा. जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12.03 बजे से दोपहर 12.51 बजे तक रहेगा.