रैगिंग के आरोपियों को एक लाख जुर्माना, एक साल के लिए होस्टल और कक्षाओं से भी निष्कासित

1 min read

कांगड़ा: डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महा विद्यालय टांडा अस्पताल की एंटी रैगिंग कमेटी ने रैगिंग में दोषी पाए गए चार प्रशिक्षु डाक्टरों को कठोर दंड देते हुए एक साल तथा छह महीनों के लिए कक्षाओं व होस्टल से निष्कासित किया है। साथ ही 50 हजार से एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

इस जुर्माने की राशि को सात दिनों के भीतर जमा करवाना होगा। विदित है कि टांडा मेडिकल कालेज में वर्ष 2009 में रैगिंग की आग में स्वयं को बुरी तरह से झुलसा चुका है और 19 वर्षीय प्रशिक्षु डाक्टर अमन काचरू के प्राणों की आहुति यह घृणित रैगिंग ले चुकी है, जिसके चलते अमन काचरू के पिता राजेंद्र काचरू को इस घटना के बाद गहरा आघात लगा था और उन्होंने 2009 में एंटी रैगिंग कैंपेन के लिए इसे बड़ा सेटबैक बताया था और कुछ सवाल भी उठाए थे की एंटी रैगिंग कैंपेन के अंतर्गत युवाओं का भविष्य क्या सुरक्षित है।

19 वर्षीय बेटे को खोने के बाद प्रशिक्षु डॉक्टर अमन काचरू के पिता राजेंद्र काचरू ने रैगिंग से संबंधित कुछ कानूनों में भी बदलाव करवाया था, ताकि आने वाले समय में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और रैगिंग करने वाले विद्यार्थियों को सख्त दंड का खौफ रहे। लेकिन 14 वर्ष के अंतराल के बाद पिछले वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश में मेडिकल कालेजों में दोबारा से रैगिंग की तीन घटनाएं घट गई, जिसमें एक डाक्टर कि बेटी की रैगिंग भी हुई थी। टांडा मेडिकल कालेज में पांच जून को एक बार फिर रैगिंग की घटना घट गई। शायद सरकार का इस और ध्यान नहीं जा रहा हैं।

सख्त कानून न होने से बढ़ रहे मामले

जल्द इस और ध्यान न दिया तो कोई अप्रिय घटना आगामी समय में घट सकती है। सख्त कानून व्यवस्था का न होना शायद बार-बार रैगिंग होने का कारण बन रहा है। हालांकि 2009 में हिमाचल सरकार ने एक आदेश जारी किए थे कि 50 हजार जुर्माने के साथ तीन साल की जेल की सजा दी जाएगी, लेकिन हैरानी है की बावजूद इसके यह रैगिंग के मामले बार-बार क्यों हो रहे हैं। स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर प्रशासन व सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours