पंजाब दस्तक(सुरेन्द्र राणा); हिमाचल प्रदेश में मनरेगा मजदूरों को पांच माह तक वेतन न मिलने के मामले में दोषी अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी। पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं।
प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया कि मनरेगा में मैटीरियल कंपोनेंट का पैसा चुकता नहीं किया गया है। मजदूरों को समय से भत्ता न देने पर भी सवाल उठाए। मनरेगा के मस्टररोल में भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए। विधायक जगत सिंह नेगी के सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि 2018-19 में मनरेगा के तहत 270 लाख कार्य दिवस की जगह 280 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए। 2020-21 में लक्ष्य से अधिक 336 लाख कार्य दिवस अर्जित हुए। इस साल 250 लाख की एवज में 233.94 लाख कार्य दिवस अर्जित कर लिए गए हैं।
सरकार ने केंद्र से कोटा बढ़ाने की मांग की है। लक्ष्य से अधिक काम के चलते मजदूरों की दिहाड़ी और मैटीरियल की राशि अदा नहीं हो पाई। केंद्र से यह पैसा अभी नहीं मिला है। केंद्र ने 205 करोड़ रुपये दिए थे, जो जारी किया जा चुका है। हिमाचल सरकार ने भी 100 करोड़ कॉरपस फंड के रूप में दिए हैं। इसमें से 88 करोड़ जारी कर दिए गए हैं।
उधर, विधायक आशा कुमारी ने अनुपूरक सवाल में कहा कि चंबा जिला में भी लंबी पेंडेंसी है। इसे जल्द पूरा किया जाए। विधायक जगत नेगी ने 5 महीने से मजदूरों को दिहाड़ी न मिलने के लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग उठाई। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मनरेगा योजना को यह सरकार खत्म नहीं कर सकती। पंचायतों में सभी प्रधान फर्जी मस्टररोल भर रहे हैं। मिस्त्री की दिहाड़ी 321 रुपये मिल रही है, जबकि मिस्त्री जब कहीं और काम करते हैं तो 900 रुपये तक दिहाड़ी लेते हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि सरकार ने मनरेगा में आधारभूत परिवर्तन किया है।
कई नए काम इसमें जरूरत के हिसाब से जोड़े गए हैं। उन्होंने माना कि दिहाड़ी के 2 करोड़ 20 लाख तथा मैटीरियल कंपोनेंट के 3 करोड़ 83 लाख लंबित हैं।
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