शिमला, सुरेंद्र राणा, सहायक निदेशक/ प्रधानाचार्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान संघ हिमाचल प्रदेश हाल ही मे सरकार द्वारा जारी राइडर अधिसूचना का कड़ा विरोध और घोर निंदा करता है। सरकार की ओर से जारी छठे वेतनमान में 2 वर्ष के नियमित सेवाकाल के बाद भी प्रधानाचार्य आईटीआई को उनके उच्च वेतनमान से वंचित रखा गया है, जोकि बिल्कुल भी न्याय संगत नहीं है।
सरकार द्वारा जारी राइडर की अधिसूचना में सरकारी कर्मचारियों के 89 वर्गों में सहायक निदेशक/ प्रधानाचार्य आईटीआई को भी शामिल किया गया है और आश्चर्य की बात यह है कि इन 89 वर्गों में एक भी वर्ग ऐसा नहीं है जिसके ऊपर हेड ऑफ ऑफिस और DDO के कार्यभार की जिम्मेदारी हो, जो कि इस श्रेणी के साथ अन्याय है ।
संघ के प्रधान आदित्य रैना ने बताया कि प्रधानाचार्य आईटीआई को 2012 में 15600-39100+5400 ग्रेड पे दिया गया था परंतु 2013 में सरकार द्वारा अलग से एक अधिसूचना जारी कर इस पर भी 2 वर्ष की अनुचित शर्त लगा दी गई थी, जिसका खामियाजा आज सहायक निदेशक/ प्रधानाचार्य आईटीआई को झेलना पड़ रहा है। हाल ही में सरकार द्वारा जारी राइडर अधिसूचना में सहायक निदेशक/ प्रधानाचार्य को एक रुपए का भी वित्तीय लाभ प्रदान नहीं किया गया है। जो कि इस वर्ग के साथ सरकार का कुठाराघात है।
वहीँ संघ के महासचिव अभिनन्दन कालिया ने अवगत करवाया कि प्रधानाचार्य आईटीआई को विभाग में 35 साल तक सेवा करने के उपरांत भी कोई पदोन्नति लाभ उपलब्ध नहीं है, जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब में प्रधानाचार्य आईटीआई को अतिरिक्त निदेशक तक 35 साल के सेवा काल में चार पदोन्नति लाभ उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं हिमाचल में पंजाब के अनुपात में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या काफी अधिक है जिसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में लगभग 140 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान जबकि पंजाब में केवल 130 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है। इसके बावजूद भी हिमाचल सरकार धड़ल्ले से नित नए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोल रही है । वर्तमान में प्रधानाचार्य आईटीआई की संख्या कम होने के कारण एक प्रधानाचार्य को पांच -पांच अतिरिक्त औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का कार्यभार देखना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय सरकार द्वारा जारी विभिन्न योजनाओं जैसे कि PPP,COE,STRIVE तथा HPKVN को अमली जामा पहनाने का भी अतिरिक्त कार्यभार है जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर इन्होने प्रदेश को अग्रणी श्रेणी में लाकर खड़ा करने का गौरव दिलाया है। परंतु फिर भी सरकार उनके हितों के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं है ।
प्रधानाचार्य संघ द्वारा यह भी बताया गया है कि वे इस विषय के बारे में कई बार मुख्यमंत्री तथा तकनीकी शिक्षा मंत्री से मिल चुके हैं परंतु सरकार ने अभी तक उनके हितों के लिए निराशा प्रदान करने के अतिरिक्त कुछ नहीं किया।
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