शिमला, सुरेंद्र राणा: प्रदेश हाईकोर्ट ने संशोधित वेतनमान के अनुसार ग्रेच्युटी की बकाया राशि जारी न करने पर शिक्षा सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस मामले में पहले हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अदालती आदेशों – की अवमानना का मुकद्दमा चलाया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट बताया इस मामले में हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना करने का दायित्व अकेले उच्च शिक्षा निदेशक पर ही नहीं बल्कि शिक्षा सचिव पर भी है। इस पर कोर्ट ने शिक्षा सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने प्रार्थियों को संशोधित वेतनमान के आधार पर ग्रेच्युटी जारी करने के आदेश दिए थे। 4 जनवरी 2024 को साफतौर पर हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक की उपस्थिति में आदेश जारी किए थे कि 15 मार्च तक प्रार्थियों के सेवानिवृत्ति लाभ जारी कर दिए जाए।
इसके बावजूद शिक्षा विभाग ने याचिकाकर्ता गज राज ठाकुर और अन्य प्रार्थियों को संशोधित वेतनमान के आधार पर संशोधित ग्रेच्युटी की बकाया राशि जारी नहीं की।
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में उच्च शिक्षा निदेशक नोटिस उपस्थित हुए। कोर्ट ने प्रार्थियों की बकाया राशि जारी न करने को प्रथम दृष्टया अपने आदेशों की अवहेलना का मामला पाया। अतः अपने स्पष्ट आदेशों के बावजूद प्रार्थियों को बकाया राशि जारी न करने पर कोर्ट ने शिक्षा सचिव के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया। मामले पर सुनवाई 29 अप्रैल को निर्धारित की गई है।
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