मंडी, काजल: रियासत कालीन मंडी शिवरात्रि की जलेब में राजदेवता माधोराय की पालकी के साथ चलने वाले स्नोरघाटी के देवता देव बरनाग बुधवार को 80 साल बाद मंडी पहुंचे। राजदेवता माधोराय के दरबार में हाजरी लगाकर देवता ने राजदेवता के सामने शीश नवाया। इससे पूर्व देवता बरनाग अपने भंडार ज्वालापुर से सैकड़ों देवलुओं, बजंतरियों के साथ ढोल, नगाड़ों, करनाल, रणसिंगों और शहनाई के समवेत स्वरों पर झूमते हुए देव बरनाग का रथ चांदी की छड़ों, सूरज पंखों और छतरियों के साथ मंडी शहर में पहुंचा तो ऐसा आभास हुआ मानों एक बार फिर मंडी नगर में माधोराय की जलेब निकली हो। 80 साल बाद राजदेवता माधोराय मंदिर के प्रांगण में देव बरनाग के रथ ने प्रवेश किया।

इस दौरान लोगों की भारी भीड़ के बीच सर्व देवता सेवा समिति के पदाधिकारियों ने अध्यक्ष शिवपाल शर्मा की अगुवाई में देवता का स्वागत किया। देव बरनाग जो रियासत काल में मंडी शिवरात्रि मेलों में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते हुए देव चंडेहिया के साथ माधोराय की पालकी के साथ चलते थे। मगर धूर विवाद के चलते दोनों ही देवता अब मंडी शिवरात्रि मेलों में शिरकत नहीं करते हैं। देव बरनाग सन्याहरड वार्ड में निजी आमंत्रण पर देवता पधारे हैं। देव बरनाग के मुख्य कारदार पूर्व विधायक जवाहर ठाकुर ने बताया कि आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब देवता मंडी शहर में किसी श्रद्धालु के निजी निमंत्रण पर आए हैं। -एचडीएम

जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर गणतंत्र दिवस में भाग लेने दिल्ली पहुंचे थे देव बरनाग

देव बरनाग देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेने अपने रथ पर सवार होकर कई दिनों की पैदल यात्रा करते हुए दिल्ली पहुंचे थे। इसके बाद दिल्ली से अपने देवलुओं के साथ पैदल ही वापस लौटे थे। यह वर्ष 1954 की बात है, उन दिनों आवागमन के लिए आज की तरह वाहनों की सुविधा भी नहीं होती थी। दूसरा देवता देवता का रथ गाड़ी के माध्यम से यात्रा नहीं करता था।

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