पंजाब, सुरेंद्र राणा: फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के मुद्दे पर रविवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच हुई चौथे दौर की बैठक में केंद्र सरकार चार और फसलों पर एमएसपी देने को तैयार हो गई। केंद्र सरकार की ओर से धान और गेहूं के अलावा मसूर, उड़द, मक्की और कपास की फसल पर भी एमएसपी देने का प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन इसके लिए किसानों को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) और भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से पांच साल का करार करना होगा।
पंजाब और हरियाणा में घटते भूजल स्तर को बचाने के लिए फसलों का विविधीकरण जरूरी है। इसके मद्देनजर सरकार ने आगे बढ़कर यह प्रस्ताव दिया है और ज्यादातर किसानों ने सैद्धांतिक तौर पर सहमति व्यक्त की है।
इसी बीच बैठक में मौजूद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाहर आकर पत्रकारों को बताया कि फसलों का विविधीकरण बेहद जरूरी है, बशर्ते सरकार वैकल्पिक फसलों पर एमएसपी की गारंटी दे। इसके बाद अन्य फसलों को भी इसके अंर्तगत लाया जा सकता है। हम केंद्र के इस प्रस्ताव पर किसान संगठनों के जवाब का इंतजार करेंगे।
इससे पहले, इस वार्ता में किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए केंद्र अध्यादेश लेकर लाए। वह इससे कम किसी बात पर नहीं मानेंगे। करीब दो घंटे देरी से शुरू हुई बैठक में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां भी शामिल हुए।
बैठक से पहले भी किसान नेता सरवण पंधेर और जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि एमएसपी की गारंटी पर अध्यादेश से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। खबर लिखे जाने तक बैठक जारी थी। इसी बीच, केंद्र सरकार ने हरियाणा से सटे पंजाब के सात जिलों पटियाला, एसएएस नगर, बठिंडा, मुक्तसर साहिब, मानसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में इंटरनेट पर पाबंदी 24 फरवरी तक बढ़ा दी है।
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