Saturday, May 18, 2024
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022: बीजेपी और कांग्रेस, किसके पक्ष में क्या हैं समीकरण?

शिमला, सुरेंद्र राणा:हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों का बिगुल बज गया है. इस सूबे में साल 2017 विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो अहम मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही था, लेकिन साल 2022 विधानसभा चुनावों का नजारा बदला हुआ है. इस बार इन चुनावों में एंट्री हुई आम आदमी पार्टी की.

ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के सामने एक-दूसरे से निपटने के साथ ही आम आदमी पार्टी भी चुनौती है. इस सूबे की जनता ने 5-5 साल बीजेपी- कांग्रेस दोनों को ही मौका दिया है. यहां साल 1985 से चली आ रही हर 5 साल पर सत्ता में बदलाव की परिपाटी रही है. ऐसे में जहां कांग्रेस की उम्मीदें इसी ट्रेंड पर हैं, तो बीजेपी के सामने अपना पिछला प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है

कांग्रेस इस बार सत्ता विरोधी लहर को अपनी जीत का हथियार बनाकर चल रही है. इसमें वो महंगाई और बेरोजगारी का गोला-बारूद लेकर बीजेपी पर चढ़ाई करने की तैयारी में हैं. इसके साथ ही वह सूबे में अपने कद्दावार नेता वीरभद्र सिंह की विरासत को कैश करा रही है. यही वजह है कि पार्टी ने दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह और मंत्री रह चुके बाली के बेटे रघुबीर बाली को टिकट दिया है.

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद प्रतिभा सिंह यहां कमान संभाले हुए है. वे सूबे के विधानसभा चुनाव को कांग्रेस के पक्ष में करने में अहम साबित हो सकती है. इसके साथ ही कांग्रेस ने सत्ता में आने पर जनता से लोकलुभावने वादे किए है. इसमें पुरानी पेशन बहाल करने के साथ ही 300 यूनिट फ्री बिजली, औरतों को हर महीने 1500 रुपए और सरकारी नौकरी दिए जाने जैसे वादे शामिल हैं.

इस सबके बीच कांग्रेस के सामने सूबे में पार्टी अंदरूनी कलह से निपटने की भी चुनौती है. उसके कई पुराने नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं. मंडी से पूर्व दिवंगत दिग्गज नेता पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने तो कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष युवा नेता सुदर्शन सिंह बबलू कांग्रेस छोड़ चुके हैं.

वंही हिमाचल प्रदेश में बीजेपी मोदी लहर को भुनाने की कोशिशों में हैं. यही वजह है कि पीएम मोदी तीन बार हिमाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. सूबे की जनता के बीच पीएम नरेंद्र मोदी एक आकर्षण बरकरार है और इसी का फायदा उठाने की बीजेपी पुरजोर कोशिश कर रही हैं.

इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सत्ता परिवर्तन के ट्रेंड से पार पाने की है. हर सीट के लिए पार्टी ने खास रणनीति तैयार की है. इसके लिए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद मैदान में उतरे हैं. वो अपने गृहराज्य में जनता को अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

वो राज्य के कई दौरे कर चुके हैं. अगस्त से ही उन्होंने अपने दौरों की शुरुआत कर दी थी. इन दौरे के दौरान वो इस पहाड़ी राज्य की जनता को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं. हर सीट के लिए पार्टी ने खास रणनीति तैयार की है.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने गृह क्षेत्र बिलासपुर में पार्टी के नाराज कार्यकर्ताओं की मानमुव्वल में लगे हुए हैं. कार्यकर्ताओं के मन की बात जानकर वह सूबे में पार्टी के नुकसान की भरपाई करने में लगे हैं. इसके साथ ही सूबे के सीएम भी जयराम ठाकुर भी इसी दिशा में काम करते दिखाई दे रहे हैं.

पार्टी के ये अनुभवी नेता आगामी विधानसभा चुनावों में किसी भी नुकसान से बचने के लिए ये सुरक्षात्मक रवैया अपना रहे हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह. पार्टी के सूबा प्रभारी अविनाश राय खन्ना डैमेज कंट्रोल पॉलिसी पर खासा फोकस कर रहे हैं. इनकी कोशिशों का नतीजा रहा कि नाराज चल रहे पालमपुर विधानसभा सीट के प्रवीण शर्मा और ज्वाली के अर्जुन सिंह मान गए हैं.

 

 

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