पंजाब दस्तक डेस्क; भारत में ओमिक्रॉन इंफेक्शन के मामले बढ़ सकते हैं और देश में हाई पॉजिटिविटी रेट दिखाई देगा. हालांकि दक्षिण अफ्रीका की तरह अधिकांश लोगों में इसका हल्का संक्रमण होगा. ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहली बार पहचान करने वाली डॉक्टर एंजलीके कोएट्जी ने ऐसा दावा किया है. ‘साउथ अफ्रीका मेडिकल एसोसिएशन’ की चेयरपर्सन ने यह भी कहा कि मौजूदा वैक्सीन निश्चित रूप से संक्रमण को नियंत्रित करेंगी, लेकिन वैक्सीन ना लेने वाले लोगों के लिए खतरा 100 फीसद है.
पीटीआई से फोन पर बातचीत में डॉ. कोएट्जी ने कहा, ‘वैक्सीनेटेड या पहले संक्रमित हो चुके लोगों में ओमिक्रॉन कम फैलेगा. जबकि वैक्सीन ना लेने वाले निश्चित रूप से इसे फैलाने का काम करेंगे.’ उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और आने वाले दिनों में यह एंडेमिक स्टेज पर भी जा सकती है. एंडेमिक वो स्टेज है जब किसी जगह पर वायरस या बीमारी लगातार बनी रहती है. डॉ. कोएट्जी उन विशेषज्ञों की राय से असहमत हैं जो दावा कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन अंत की तरफ बढ़ रहा है और तुल्नात्मक रूप से कोरोना के तमाम वैरिएंट से कमजोर है.
यूनियन हेल्थ मिनिसट्री द्वारा जारी डेटा के मुताबिक, शनिवार तक भारत में ओमिक्रॉन संक्रमण के कुल 415 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 115 मरीज रिकवर या फिर माइग्रेटेड हो चुके हैं. डॉ. कोएट्जी ने कहा कि कोई भी वायरस जो नियंत्रण से बाहर हो जाता है मानव जाति के लिए खतरा ही होता है.
पूरी दुनिया में फैल रहे ओमिक्रॉन स्ट्रेन के व्यवहार को लेकर डॉ. कोएट्जी ने कहा, नया वायरस युवाओं और बच्चों पर भी हमला कर रहा है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए ओमिक्रॉन ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन ये हाई इफेक्टिविटी रेट के साथ तेजी से फैल सकता है. अस्पतालों में इसके कम गंभीर मामले हैं. यह वायरस इंसान को संक्रमित करके खुद को जिंदा रखता है. इससे बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं. हालांकि अच्छी बात ये है कि वे औसतन 5 से 6 दिन के भीतर रिकवर भी हो रहे हैं.
क्या ओमिक्रॉन वैरिएंट फिर से म्यूटेट होकर अपना व्यवहार बदल सकता है? इस सवाल के जवाब में डॉ. कोएट्जी ने कहा, ‘हां, नया वैरिएंट भविष्य में म्यूटेट होकर ज्यादा खतरनाक हो सकता है और ऐसा ना होने की भी संभावना है.’ 61 साल की मेडिकल प्रैक्टीशनर ने मास्क पहनने जैसे सेफ्टी प्रोटोकॉल्स पर भी जोर दिया, जो ओमिक्रॉन के ट्रांसमिशन को कंट्रोल करने में काफी अहम है.