मनोरंजन: बॉलीवुड ने दुनिया को खूब गुदगुदाने और चमकने वाले सितारे दिए हैं। इंडस्ट्री में कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अभिनय के स्तर को हमेशा से ऊंचा रखा है। हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक कलाकार हैं, लेकिन गुजरे जमाने के कुछ सितारे ऐसे भी थे जिन्होंने आने वाली पीढ़ी को अभिनय का पाठ पढाया। हम बात कर रहे हैं दिग्गज अभिनेता ओम प्रकाश की, जिन्होंने 60-70 के दशक में एक से बढ़कर एक फिल्में कीं और अपनी प्रतिभा से हर किसी के दिल पर राज किया।
19 दिसंबर, 1919 को जम्मू में जन्मे ओमप्रकाश ने 12 साल की उम्र में क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था। उन्हें संगीत के अलावा थियेटर और फिल्मों में खूब दिलचस्पी थी। वह महज 14 साल की उम्र में एक्टिंग करने के लिए मुंबई पहुंच गए, लेकिन बात नहीं बनी तो उन्हें वापस लौटना पड़ा।
हालांकि जम्मू आकर उनका मन नहीं लगा तो कुछ सालों बाद उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में काम करना शुरू कर दिया। वहां उनको सैलरी बहुत ही कम मिलती थी, इस वजह से नौकरी से भी उनका मन उचट गया और वहां से भी इस्तीफा दे दिया।
एक दिन वह अपने दोस्त की शादी में गए हुए थे। वहां वह हंसी मजाक कर रहे थे, तभी प्रोड्यूसर दलसुख पंचोली की नजर उन पर पड़ गई। शादी के बाद ओम प्रकाश घर चले गए, लेकिन कुछ दिन बाद उनके पास एक टेलिग्राम पहुंचा। जिसपर लिखा था- तुरंत आओ- पंचोली। उस वक्त तो ओम प्रकाश ने इसे मजाक समझा लेकिन दोस्तों और भाई के समझाने पर मिलने चले गए। ओम प्रकाश को 1944 में पहली फिल्म मिली दासी, जिसमें उनका रोल एक कॉमिक विलेन का था। फिल्म सुपरहिट हुई, लेकिन इसके बाद उन्हें लंबे समय तक काम नहीं मिला।
दोबारा उन्हें काम मिला फिल्म धमकी में और इस फिल्म के हिट होते ही ओम प्रकाश भी हिट हो गए। इसके बाद 1973 की फिल्म जंजीर फिल्म में डीसिल्वा का किरदार निभाया और 1984 की फिल्म शराबी में मुनीम जी के रोल में वो हर किसी के दिलों में बस गए। इसके बाद आई फिल्म नमक में दद्दू के किरदार में भी उनको खूब पसंद किया गया। वो बेहद ही जिंदादिल इंसान थे। उन्होंने 50 साल तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया और फिर वह बीमार रहने लगे। 21 फरवरी 1998 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया और हिंदी सिनेमा के एक बेहतरीन सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया।