पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध को चंडीगढ़ प्रशासन ने अब हटा लिया है. पूर्ण प्रतिबंध के दो साल बाद यूटी प्रशासन ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल को मंजूरी दी है.
प्रशासन ने जानकारी दी कि लोग ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल सिर्फ दशहरा, दिवाली और गुरुपर्व पर ही कर सकेंगे. पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद यह फैसला लिया गया. फैसले के मुताबिक, दिवाली और दशहरा पर (रावण का पुतला जलाने के लिए) रात 8 बजे से रात 10 बजे तक पटाखे जलाए जा सकेंगे.
इसके अलावा, गुरुपर्व पर सुबह 4 बजे से 5 बजे तक और रात 9 से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे जलाए जा सकेंगे. चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की एक रिपोर्ट के बाद यह फैसला सामने आया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 और 2021 में दिवाली के दौरान शहर की एयर क्वालिटी मध्यम या संतोषजनक पाई गई. ग्रीन पटाखे या पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने वाले पटाखे वैकल्पिक कच्चे माल से निर्मित होते हैं. ये आम पटाखों की तुलना में 30 प्रतिशत कम प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं.
पर्यावरण पर पड़ता है कम प्रभाव
इसके इस्तेमाल से पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है और हेल्थ से जुड़ी परेशानियां भी उतनी नहीं होती. इनमें बेरियम, एल्युमिनियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन भी नहीं होता है, जिनकी वजह से ग्रीन पटाखे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं. पिछले दो सालों में मोहाली और पंचकूला दोनों ही जगहों पर ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करने की अनुमति थी. हालांकि चंडीगढ़ में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा था.
व्यापारियों को नुकसान से उभरने में मिलेगी मदद
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्देश के साथ ग्रीन पटाखों की बिक्री को इजाजत दी थी कि पटाखे सिर्फ रात 8 बजे से रात 10 बजे तक ही जलाए जाएं. चंडीगढ़ प्रशासन के फैसले का स्वागत करते हुए चंडीगढ़ क्रैकर्स डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष देविंदर गुप्ता ने कहा, ‘पटाखों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटाने से इसका बिजनेस करने वाले व्यापारियों को पिछले दो सालों में हुए भारी नुकसान से निपटने में मदद मिलेगी.’
ग्रीन पटाखे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं. मोहाली और पंचकूला, चंडीगढ़ से काफी नजदीक हैं. इन दोनों ही जगहों पर सभी तरह के पटाखे बेचे जाते हैं और लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं. ऐसे में चंडीगढ़ में प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों के इस्तेमाल को रोक पाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है.