वाटर सेस बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार

0 min read

शिमला सुरेंद्र राणा:हिमाचल हाईकोर्ट से असंवैधानिक करार दिए जा चुके वाटर सेस को बचाने के लिए राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। जल शक्ति विभाग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी रजिस्टर करवा दी गई है और संभवतया 13 मई के आसपास यह केस लग जाएगा। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से चर्चा में है और बात फाइनल होने वाली है।

हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने वाटर सेस के माध्यम से 3829 करोड़ कमाने का लक्ष्य रखा था। अभी खाते में 37 करोड़ ही आए थे कि बिजली कंपनियों के हिमाचल हाईकोर्ट जाने के बाद कोर्ट ने इसे संवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया। हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को अब राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। कुल 39 बिजली कंपनियों ने हिमाचल हाईकोर्ट का रुख किया था।

इन 39 बिजली कंपनियों को अब चार याचिकाओं में बांट दिया गया है। यानी राज्य सरकार की तरफ से चार एसएलपी दायर हुई हैं। हिमाचल हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एनएचपीसी की तरफ से सीनियर एडवोकेट तुषार मेहता और जेएसडब्ल्यू की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी राज्य सरकार के खिलाफ पैरवी कर चुके हैं।

मुकुल रोहतगी की भी इन कंपनियों में से एक के लिए पहले पेश हो चुके हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में उन्हें भी नहीं लिया जा रहा। अभी चर्चा सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल के साथ चल रही है। हिमाचल सरकार द्वारा लगाया गया वॉटर सेस कुल 172 बिजली परियोजनाओं पर लागू होना था। इनमें से 24 बड़ी बिजली कंपनियां हैं।

अब तक जलशक्ति विभाग के पास कल 37 करोड़ वॉटर सेस के इक_े हुए थे और इनमें से भी अधिकांश पैसा सरकारी बिजली प्रोजेक्टों का है, जो बिजली बोर्ड या ऊर्जा निगम इत्यादि के पास हैं। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के संसाधन बढ़ाने के नाम पर यह फैसला लिया था, लेकिन सरकार को 5 मार्च 2024 को हिमाचल हाईकोर्ट से बड़ा झटका मिला था।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours