दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास किसी भी बकाएदार के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार नहीं है।
विराज शाह बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस माधव जामदार की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यालय ज्ञापन के तहत सार्वजनिक बैंकों को भारतीय नागरिकों या विदेशियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने की शक्ति नहीं है। खंडपीठ ने यह फैसला सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा कर्जदारों/ बकाएदारों को विदेश यात्रा से रोकने के लिए जारी लुकआउट सर्कुलर्स को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनाया है।
हालांकि, मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के कार्यालय ज्ञापन संविधान के दायरे से बाहर नहीं हैं, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंधकों को लुकआउट सर्कुलर जारी करने की शक्ति देने का अधिकार मनमाना है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अनुरोध पर जारी किए गए सभी लुकआउट सर्कुलर को रद्द कर दिया। हालांकि, खंडपीठ ने ये स्पष्ट किया कि दो जजों वाली बेंच द्वारा पारित आदेश किसी भी ट्रिब्यूनल या आपराधिक अदालत द्वारा जारी किए गए ऐसे किसी भी मौजूदा आदेश को प्रभावित नहीं करेगा, जो ऐसे व्यक्तियों को विदेश यात्रा से रोकता है।
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