आए दिन बढ़ रहे हादसे बीड़ में नए पायलटों को ट्रेनिंग देने पर पाबंदी

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कांगड़ा, अभय: हिमाचल प्रदेश की बीड बिलिंग घाटी की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां देश और विदेश से लोग पैराग्लाइडिंग का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं। घाटी में आए दिन हो रहे हादसों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से साडा के चेयरमैन एंव एसडीएम बैजनाथ देवी चंद ठाकुर और जिला पर्यटन अधिकारी विनय धीमान की उपस्थिति में बीड़ में एक बैठक आयोजित को गई। इस मौके पर सभी पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन के प्रतिनिधियों और पायलटों ने भाग लिया। जिला पर्यटन अधिकारी विनय धीमान ने कहा कि बीड़ में नए पायलटों को आगामी आदेशों तक किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण देने पर प्रतिबंध रहेगा। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मौसम की जानकारी को लेकर लैंडिंग साइड क्योर और टेक ऑफ साइट बिलिंग में वेदर स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।

स्थानीय, हिमाचली व भारत वर्ष के कोने-कोने से आने वाले पायलटों के साथ-साथ विदेशी पायलटों को रजिस्ट्रेशन के समय एक मार्ग दर्शिका पुस्तक दी जाएगी। इस पुस्तिका से पायलट को जानकारी मिलेगी की फ्लाइंग के दौरान कौन सी जगह सुरक्षित है और कौन सी असुरक्षित। -एचडीएम

नशे में उड़ान भरने वाले पायलटों पर नजर

बैठक में सामने आया कि कुछ पायलट नशा करके टेंडम उड़ान भरते हैं, ऐसे पायलटों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस और चिकित्सक पर आधारित टीम समय-समय पर औचक निरीक्षण करेगी। इसके अतिरिक्त नियमों की अवहेलना करने वाले पायलटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

टेक ऑफ प्वाइंट, लैंडिंग साइट में लगाएंगे छोटे टावर

पैराग्लाइडर पायलटों के खिलाफ चालान काटने या कानूनी कार्रवाई करने के लिए पुलिस, तहसीलदार व अन्य अधिकारियों को अधिकृत करने के लिए सरकार से आग्रह किया जाएगा। पायलट के कम्युनिकेशन को बढ़ाने के लिए टेक ऑफ प्वाइंट और लैंडिंग तथा अन्य दो तीन स्थानों पर छोटे टावर स्थापित किए जाएंगे। विनय धीमान ने बताया कि प्रशिक्षण देने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है और बीड़ के एक प्रशिक्षक के स्कूल को बंद कर दिया है।

34 सालों में 24 लोगों ने गंवाई अपनी जान

गत दिनों नोएडा की पायलट रितु चोपड़ा सोलो उड़ान के समय हुई दुर्घटना के दौरान अपनी जान गवा चुकी है। इसी के चलते जिलाधीश ने इन दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश जारी किए हैं। बिलिंग घाटी में 1990 के बाद से अब तक दो दर्जन लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। अब गौर करने वाली बात यह है कि जो फैसले बैठक में लिए है, यह धरातल पर उतरते हैं या फिर फाइलों में ही सिमट जाते हैं यह तो आने वाले समय ही बताएगा।

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