नई दिल्ली। हॉलीवुड में रक्तरंजित और हिंसक फिल्में भी मनोरंजन का साधन रही हैं। इन फिल्मों को ज्यादातर R रेटिंग दी जाती है। रॉन्ग टर्न (Wrong Turn) फ्रेंचाइजी इसकी एक मिसाल है। इन फिल्मों में खूनखराबा दिखाने की कोई इंतेहा नहीं होती। वीभत्स दृश्य और हिंसा खुलकर दिखाई जाती है।
जैसा कि शीर्षक से ही पता चलता है, ‘रॉन्ग टर्न’ फिल्मों में सैलानी या रास्ता भटके लोग एक ऐसे गांव या बस्ती में पहुंच जाते हैं, जहां अजीबोगरीब लोगों के परिवार रहते हैं। ये परिवार इंसानों को बेरहमी और क्रूरतम तरीकों से मार डालते हैं। ये नरभक्षी भी दिखाये जाते हैं।
मिलिंद राऊ निर्देशित छह एपिसोड्स (36-50 मिनट प्रति एपिसोड) की वेब सीरीज के साथ तमिल कलाकार आर्य ने ओटीटी डेब्यू किया है। सीरीज अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी में भी रिलीज की गयी है।
कैसा है स्क्रीनप्ले?
द विलेज वैसे तो एक रात की कहानी है, मगर कई सालों का सफर तय करती है। सीरीज का मिजाज पहले एपिसोड के शुरुआती दृश्यों से सेट हो जाता है, जब कट्टियल गांव में एक वैन में सवार गर्भवती महिला और उसके साथ दूसरे लोगों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी जाती है।
हमलावरों को करीब से नहीं दिखाया जाता, मगर अंधेरे में उनकी आकृति से समझ में आ जाता है कि उनकी शारीरिक बनावट सामान्य नहीं है। उनके हाथ में कुल्हाड़ी, भाले और फरसे जैसे हथियार नजर आते हैं।
मिलिंद राऊ, वी दीरज वैदी और दीप्ति गोविंदराजन ने नॉनलीनियर स्कीनप्ले के जरिए कहानी के सस्पेंस और थ्रिल को बरकरार रखा है। मुख्य कथानक के साथ कुछ उप कथानक जोड़े गये हैं, जो मुख्य कथ्य को सपोर्ट करते हैं। सीरीज में दो ट्रैक साथ-साथ चलते हैं, जो अंतिम एपिसोड में जुड़ते हैं।
पहला ट्रैक डॉ. गौतम का है, जो अपनी बीवी-बच्ची को ढूंढ रहा है, जबकि दूसरा सिंगापुर में व्हीलचेयर बाउंड बिजनेस टाइकून प्रकाश (अर्जुन चिदम्बरम) का है। प्रकाश कट्टियल गांव के जंगलों और 2004 की सुनामी में उजड़ी अपनी फैक्ट्री से कुछ खास सैंपल लाने के लिए अपने विश्वासपात्र जगन (थलईवासल विजय) और मर्सिनरीज की एक टीम को भेजता है। इस टीम का लीडर फरहान (जॉन कोक्केन) है।
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