Monday, May 20, 2024
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा का की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, मानसून के अंतिम दिन शांति प्रिय ढंग से चली कार्यवाही

शिमला, सुरेंद्र राणा: सात दिन तक चली मानसून सत्र की कार्यवाही 36 घंटे 38 मिनट तक चली और सदन में कुल 743 तारांकित और अतारंकित प्रश्न विधायको द्वारा पूछे गए। इसके अलावा नियम 61के तहत कुल 8 विषयों ,नियम 62 के तहत 5 विषयों पर चर्चा हुई। नियम 102 के तहत एक सरकारी संकल्प पारित किया गया। जिसमें प्रदेश में आई आपदा को लेकर तीन दिन तक चर्चा चली जिसमें पक्ष और विपक्ष के 52 विधायकों ने भाग लिया और अंत में हिमाचल सरकार ने आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के साथ हिमाचल को 12 हजार करोड़ की विषेश आर्थिक मदद देने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया। नियम 130 के तहत तीन विषयों पर चर्चा हुई और सदन में कुल आठ विधेयक पुनर्स्थापित और पारित हुए। इसके अलावा भांग की खेती को वैध करने को लेकर कमेटी की रिपोर्ट सदन में रखी गई है और श्वेत पत्र को लेकर भी सदन में डिप्टी सीएम ने अपना वक्तव्य दिया और डॉक्यूमेंट को सदन में रखा गया।

नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि 7 दिन तक सत्र की कार्यवाही काफी महत्वपूर्ण रही। विपक्ष ने जनता के मुद्दों को सदन में उठाने का पूरा प्रयास किया हालांकि सरकार की तरफ से विपक्ष की आवाज को दबाने का सदन में पूरा प्रयास हुआ बावजूद इसके विपक्ष ने सरकार को हर मुद्दे पर घेरा। सरकार द्धारा लाया गया श्वेत पत्र झूठ का पुलिंदा है इसे भाजपा पूरी से खारिज करते हैं। श्वेत पत्र में जो आरोप लगाए गए हैं वह कांग्रेस की गारंटी की तरह झूठे है। आपदा में केंद्र सरकार ने हिमाचल का पूरा सहयोग किया है और आगे भी केन्द्र सरकार हिमाचल को हर सम्भव मदद करेगा। आज भाजपा ने सदन के बाहर सरकार की नौ महीने की कारगुजारियो को उजागर किया है, विपक्ष आगे भी जनता की आवाज को पुरजोर तरीके से उठाएगा।

वहीं सत्र की समाप्ति पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि 7 दिन की सदन की कार्यवाही में विपक्ष की तरफ से जो भी सवाल और मुद्दे उठाए गए सरकार ने उनका जवाब देने की पूरी कोशिश की है और हर मुद्दे पर डिटेल चर्चा सदन के भीतर हुई है ।सरकार की तरफ से आपदा को लेकर 3 दिन तक विस्तृत चर्चा हुई जिसके बाद सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा है और हिमाचल को राष्ट्रीय आपदा प्रभावित राज्य घोषित करने की मांग के साथ ही 12000 हजार करोड़ करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता की मांग की गई है। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण विधेयक भी सदन में पुनर्स्थापित और पारित किए गए हैं जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।

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