सिराज की पगडंडियों से ओकओवर तक का सफर आसान नही था जयराम ठाकुर के लिए…

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शिमला, सुरेन्द्र राणा; किसी ने खूब कहा है..‘‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती,
कुछ किए बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’’

कुछ इसी तरह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर परिश्रम व मजबूत हौसले के साथ अपना सफर तय कर रहे हैं। उनका सफर जिला मंडी के सिराज की पगडंडियों से शुरू हुआ था जो हिमाचल की राजधानी शिमला स्थित ओकओवर तक पहुंच गया है। इस सफर में उलझने व बाधाएं काफी थी पर जयराम डगमगाए नहीं। कठिन परिश्रम व नेक इरादों के साथ उन्होंने सफर जारी रखा।

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के उपमंडल सिराज स्थित तांदी गांव में जन्मे जयराम ठाकुर ने अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों व मूलभूत सुविधाओं के अभाव का सामना किया है। स्कूली शिक्षा के दौरान वे रोजाना 18 किलोमीटर पैदल सफर करते थे। उनके गांव से बगस्याड़ स्थित स्कूल करीब 9 किलोमीटर दूर था। सुबह-शाम का पैदल सफर 18 किलोमीटर होने के बावजूद जयराम ठाकुर थकान को नजरअंदाज कर पढ़ाई व घर के काम के लिए उचित समय देते थे। गरीबी की बेड़ियों से बंधे होने के बावजूद जयराम ने संघर्ष जारी रखा और तय किया कि अपनी नहीं, अपने क्षेत्र की ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश की तकदीर बदलूंगा।

जयराम ठाकुर उस क्षेत्र के विधायक बने जहां भाजपा की पहले विधानसभा चुनावों में करारी हार होती थी। उसके बाद सिराज में जनता को प्रत्येक सुविधाएं उपलब्ध होने लगी और अब उन्होंने प्रदेश का नेतृत्व संभाल लिया है। जिसके परिणामस्वरूप आज नए एवं उज्ज्वल हिमाचल का निर्माण हो रहा है।

ऐ गरीबी तू बेशक जकड़ ले…
पर जीत मेरी तय है ये तू सोच ले
जहन से निकली है आवाज जरा तू भी सुन ले
रख हौसले तू चल ले
तू गिर के भी संभल ले
मंजिल तक रूकना नहीं, थमना नहीं ये तू ठान ले ऐ गरीबी सफर है मेरा संघर्ष व कोशिशों का…जीत मेरी तय है ये तू सुन ले

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गरीबी देखी ही नहीं बल्कि महसूस की है। यही कारण है कि आज वे राज्य से गरीबी को दूर करने के लिए ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं। इसके लिए स्वरोजगार-रोजगार से प्रत्येक युवा एवं परिवार को प्रदेश सरकार द्वारा जोड़ा जा रहा है। खैर राज्य हित के लिए किए जा रहे कार्यों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है, जो बताना संभव नहीं होगा। यहां बात हो रही है जयराम ठाकुर के परिश्रम, संघर्ष व कोशिशों की। मंच हो या कोई सभा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर यह गुरू मंत्र अवश्य देते हैं कि संघर्ष और सीखने की इच्छा कभी खत्म नहीं होनी चाहिए। यह कहना लाजमी होगा कि सीखने की इच्छा हो तो अहम से दूरी बनी रहती है और संघर्ष करें तो मंजिल अवश्य मिलती है।

धूल-मिट्टी के कणों को अपनी मेहनत के
पसीनों की बूंदों को मिलाकर
जीवन के उस पथ पर निकल पड़ा हूं…
जहां पड़ाव कम, काम व बाधाएं अधिक हैं
लोगों की सेवा में डगमगाता नहीं हूं,
मैं डरता नहीं, थकता नहीं, टूटता नहीं हूं
अपनी मंजिल के शीर्ष पर पहुंचने के लिए प्रयासरत हूं।

हिमाचल एवं जनता के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दिन-रात परिश्रम कर रहे हैं। इसकी बानगी राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में देखी जा सकती है। मात्र 1 वर्ष के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश के सभी (68) विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर जनता की आकांशाओं को समझा। इसके साथ ही सभी क्षेत्रों को करोड़ों की सौगातें भी दी हैं। जो प्रदेश के मुखिया जयराम ठाकुर के दरबार आता है वह खुशी-खुशी वापस लौटता है। सचिवालय हो या फिर उनका सरकारी आवास ओकओवर यहां अक्सर फरियादियों का जमावड़ा लगा रहता है और मुख्यमंत्री सभी की समस्याओं का समाधान निकाल कर ही रहते हैं, चाहे रात के 10 क्यों न बज रहे हों। मुख्यमंत्री कहते हैं कि हिमाचल को विकास की राह पर शिखर तक पहुंचाने के लिए वे प्रयासरत हैं।

आज प्रदेशवासियों को ऐसे नेतृत्व पर गर्व है। देवभूमि की जनता की दुआ व आशीर्वाद से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का सफर मंजिल के शीर्ष तक अवश्य पहुंचाएगा। ऐसा विश्वास इस पहाड़ी राज्य हिमाचल की माटी से निकल रही महक दिलाती है।

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