पंजाब दस्तक, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी ने 30.50 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की है। छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी ने जांच तेज कर दी है। ईडी शिमला ने मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत दो पूरक अभियोजन शिकायतें विशेष अदालत (पीएमएलए) शिमला में दाखिल की हैं। ये शिकायतें 28 मार्च 2025 को दर्ज की गईं। इन पर अदालत ने संज्ञान लिया है। ईडी की ओर से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में ईडी के प्रवक्ता ने बताया कि पहली पूरक शिकायत मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट और पांच अन्य के खिलाफ दाखिल की गई है।
यह ट्रस्ट वर्तमान में हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस, काला अंब हिमाचल प्रदेश का संचालन कर रहा है। दूसरी पूरक शिकायत आईटीएफटी कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड और पांच अन्य के खिलाफ दाखिल की गई है। यह संस्था पहले न्यू चंडीगढ़ स्थित आईटीएफटी कालेज का संचालन कर रही थी। इस घोटाले की जांच ईडी ने सीबीआई शिमला द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश के पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला द्वारा दी जाने वाली राशि के वितरण में गंभीर अनियमितताएं बरती गई थीं।
प्रवक्ता के अनुसार ईडी की जांच में सामने आया है कि उक्त शैक्षणिक संस्थानों ने छात्रों के फर्जी विवरणों के माध्यम से छात्रवृत्ति राशि प्राप्त की। इनमें वे छात्र भी शामिल थे जो कभी इन संस्थानों में पढ़े ही नहीं थे या पढ़ाई अधूरी छोड़ चुके थे।इतना ही नहीं संस्थानों ने छात्रों की जाति श्रेणी में बदलाव कर, डे स्कॉलर के बजाय उन्हें होस्टलर दिखाकर तथा दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के लिए फर्जी शुल्क संरचना दिखाकर अधिक धनराशि हासिल की। जांच के दौरान दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीच्यूशंस के वाइस चेयरमैन विकास बंसल और न्यू चंडीगढ़ स्थित आईटीएफटी कॉलेज के पूर्व कार्यकारी निदेशक गुलशन शर्मा शामिल हैं। दोनों को 30 जनवरी 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में गिरफ्तार किया गया।
इससे पहले 30 अगस्त 2023 को चार अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। इस प्रकार अब तक कुल छह आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सभी न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने इस मामले में लगभग 30.5 करोड़ रुपऐ मूल्य की चल-अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है। छात्रवृति घोटले के मामले में ईडी की अभी जांच जारी है और संभावना है कि इसमें और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। गौर हो कि हिमाचल में घोटाले की शुरुआत साल 2013 से हुई थी। 2013 से 2019 तक प्रदेश के निजी संस्थानों ने दलित छात्रों की स्कॉलरशिप में घोटाला किया था। इसी केस में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया है।
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