पंजाब दस्तक डेस्क; ओमिक्रॉन के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के प्रमुख डॉ. टेड्रस अधनोम ने कहा है कि 2022 कोरोना की महामारी का आखिरी साल हो सकता है. लेकिन इसके लिए विकसित देशों को अपने वैक्सीन दूसरे देशों के साथ साझा करने होंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है.
WHO के निदेशक को पूरा यकीन है कि साल 2022 में कोरोना महामारी का अंत हो जाएगा. लेकिन संक्रीर्ण राष्ट्रवाद और वैक्सीन के जमाखोर इसमें बाधा बन सकते हैं. डॉ. टेड्रस ने कहा कि वैक्सीन की असमानता ने ही ओमिक्रॉन जैसे वैरिएंट के पनपने के लिए आदर्श परिस्थितियां पैदा की हैं. उन्होंने बताया कि वैक्सीन की असमानता जितनी ज्यादा रहती है, वायरस के विकसित होने का जोखिम भी उतना ज्यादा होता है. हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं.
ताजा आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के कई हिस्से पिछड़ रहे हैं. बुरुंडी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोन्गो, चाड और हैटी जैसे देशों में पूरी तरह से वैक्सीनेट लोगों की आबादी एक प्रतिशत से भी कम है. जबकि हाई इनकम वाले देशों में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है. डॉ. टेड्रस ने कहा कि इस असमानता से निपटने के बाद ही हम एक सामान्य जीवन में वापस लौटने की कल्पना कर सकते हैं.
अपने बयान में उन्होंने कहा, ‘अगर हम असमानता को खत्म करते हैं तो महामारी का अंत हो जाएगा. ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी COVAX, WHO और हमारे सहयोगी दुनियाभर में उन लोगों के लिए वैक्सीन, टेस्ट और इलाज को सुलभ बनाने का काम कर रहे हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि वैक्सीन के दम पर अब तक लाखों जानें बचाई गई हैं. चिकित्सकों के पास अब कोविड-19 से बचाव और इलाज के लिए नई दवाएं और मेडिकल टूल्स भी उपलब्ध हैं.
पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर डॉ. टेड्रस ने कहा, ‘ताजा आंकड़े बताते हैं कि अस्पतालों में दाखिल कोविड-19 के 80 फीसद से ज्यादा मामले वो हैं जिन्हें बूस्टर डोज नहीं दिया गया है.’ यूके हेल्थ सेक्रेटरी एजेंसी (UKHSA) के मुताबिक, अस्पताल में दाखिल म्यूटेंट स्ट्रेन के 815 मामलों में से 608 को वैक्सीन का बूस्टर डोज नहीं दिया गया है. नया डेटा बताता है कि बूस्टर डोज से ओमिक्रॉन में हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम 88 फीसद तक कम हो सकता है