शिमला, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल प्रदेश में ‘व्यवस्था परिवर्तन’ का नारा देने वाली ‘सुख की सरकार’ में भी कुछ नहीं बदल पाया है।
यह सरकार भी ‘टायर्ड और रिटायर्ड’ के सहारे ही चल रही है।आलम यह है कि पहले कैबिनेट में 100000 नौकरियां देने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने के बाद अभी तक करीब 30 हजार युवाओं को रोजगार दे पाई हैं।एक तरफ जहां अफसरों और यहां तक कि अन्य कर्मचारियों को सेवा विस्तार मिल रहा है वहीं, युवाओं और बेरोजगारों का नौकरी के लिए इंतजार बढ़ता जा रहा है।
प्रदेश में 12 लाख के करीब बेरोजगार युवा है जो स्थाई रोजगार के लिए मेहनत में जुटे हैं लेकिन उन्हें निराशा ही मिल रही हैं।नौकरी न मिलने के कारण बेरोजगार युवा आज तनाव के कारण नशे की तरफ जा रहा है। ऐसे में पुनः रोजगार भी बेरोजगारी का बड़ा कारण बनता जा रहा है। कुछ बुजुर्ग पेंशनरों का कहना है कि सरकार रिम्पलॉयमेंट पर रखे गए लोगों को 40 पर्सेंट बेसिक सैलरी दे रही है लेकिन इसके लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं हैं।
सचिवालय के अलावा PWD, शिक्षा, स्वास्थ्य, IPH सहित अन्य विभागों में लगातार पुनः रोजगार दिया जा रहा है। इन पेंशनरों का कहना है कि नियमों में संशोधन कर पुनः रोजगार की जगह रिटायरमेंट की उम्र 58 से बढ़ाकर 70 साल कर देनी चाहिए। 60 साल के बाद कर्मचारियों की सैलरी निर्धारित कर देनी चाहिए ऐसा करने से सरकार पर पेंशन का बोझ नहीं पड़ेगा और रिटायरमेंट के बाद पुनः रोजगार के इच्छुक लोग भी रोजगार में लगे रहेंगे।
हालांकि ऐसा करने से बेरोजगारों की संख्या और बढ़ जाएगी जो ऐसे भी तो बढ़ ही रही हैं। पेंशनरों का कहना है कि 2016 से 2022 के बीच रिटायर हुए अधिकारियों कर्मचारियों को उनकी देनदारियों से वंचित रखा जा रहा है। जबकि 2022 के बाद सेवानिवृत होने वाले पुनः रोजगार पर लग रहे हैं और सारे लाभ प्राप्त कर रहे हैं। सचिवालय में कई ऐसे अधिकारी कर्मचारी हैं जो रिटायरमेंट के बाद भी कुंडली मार कर बैठे हैं।
ये लोग उत्कृष्ट सेवा की वजह से नहीं बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ का फायदा उठाकर सचिवालय में लाइट ब्रांच ढूंढते है। उनका कहना है कि सचिवालय में कई ऐसे कर्मचारी है जो रिटायरमेंट के बाद fax और गेट पास बनाने का काम कर केवल समय व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे में न उनके कार्य के अनुभव का फायदा मिलना तो दूर की बात हैं बल्कि आर्थिक बोझ ही पड़ रहा हैं। सचिवालय प्रशासन के अलावा अन्य विभागों को भी चाहिए कि पुनः रोजगार प्राप्त अधिकारियों,कर्मचारी को भारी ब्रांच में ड्यूटी लगाकर वहां के ब्रांच ऑफिसर प्रतिदिन उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट लें।
मुख्यमंत्री सता में आने के बाद लगातार व्यवस्था परिवर्तन की बात कर रहे हैं और व्यवस्था परिवर्तन में कई ऐसे कार्य भी कर रहे हैं। लेकिन प्रशाशन अपना कार्य ठीक ढंग से नही कर रहा।
कुछ पेंशनरों जिन्होंने ईमानदारी से प्रदेश के विकास के लिए योगदान दिया हैं उनका ये भी कहना है कि सरकार को नियमों में संशोधन कर सेवानिवृति के बाद कुछ वर्ष बिना सैलरी के पैंशन के सहारे सेवाएं लेनी चाहिए। इससे आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा और सेवाएं भी मिलती रहेगी। ऐसे में प्रशासन को उनसे उनके अनुभव के अनुसार काम लेना चाहिए।
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