शिमला, सुरेन्द्र राणा: “हर हाथ को काम” पहल के साथ हिमाचल प्रदेश के कारागारों में बंद कैदियों को तराश कर समाज से जोड़ने का मौका दिया रहा है। जेल विभाग के द्वारा कैदियों को कारागार के भीतर लकड़ी की कारीगरी, बेकरी के उत्पाद, शॉल टोपी बनाने सहित अन्य का काम सिखाया जा रहा है ताकि सजायफ्ता कैदी मानसिक तनाव से बचने के साथ साथ आत्मनिर्भर हो सके। यह बात महानिदेशक प्रदेश कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग संजीव रंजन ओझा ने शिमला में बंदियों द्वारा कारगार में निर्मित उत्पादों की चार दिवसीय प्रदर्शनी व बिक्री के शुभारंभ के मौके पर कही।
प्रदेश कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग के महानिदेशक संजीव रंजन ओझा ने कहा कि प्रदेश की जेलों में लगभग 2800 के लगभग कैदी हैं जिन्हें कुछ अंडर ट्रायल हैं जबकि कुछ सजायाफ्ता हैं।
जेल में आने के बाद कई बार कैदी मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाता है और आजकल NDPS मामले में युवा जेल में आ रहे हैं। ऐसे में मानसिक तनाव के शिकार हो जाते हैं। बंदियों को तनाव से दूर रखने और रोजगार देने के मकसद से प्रदेश की जेलों में उन्हें कुशल बनाया जा रहा है। शिमला के गेयटी में 6 से 9 फरवरी तक बंदियों के उत्पादों की प्रदर्शनी व बिक्री लगाई गई है। स्थानीय लोग और पर्यटक बंदियों के उत्पादों को खरीदकर इनका मनोबल बढ़ा सकते हैं और उत्पाद गुणवत्ता में अच्छे हैं और बाजार से अच्छे दामों में मिल रहे हैं।
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