शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश में सडक़ दुर्घटना पीडि़तों को अस्पताल में डेढ़ लाख रूपए तक का मुफ्त कैशलैस इलाज प्रदान किया जाएगा। भारत सरकार ने यह नई व्यवस्था की है जिसे हिमाचल प्रदेश भी अपना रहा है। यह खुलासा परिवहन विभाग के निदेशक डी.सी.नेगी ने सडक़ सुरक्षा जागरूकता को लेकर लोक प्रशासन संस्थान में आयोजित एक कार्यशाला में किया। परिवहन महकमे ने इस साल सडक़ दुर्घटनाओं में 10 फीसदी की कमी करने का लक्ष्य रखा है। ऐसा तभी संभव होगा जब आम जनता परिवहन विभाग का साथ देगी।
इसके लिए जरूरी होगा कि सडक़ सुरक्षा का पाठ पढ़ें और उसपर सही तरह से अमल करें। प्रदेश के लोगों में धीरे-धीरे सडक़ हादसों को लेकर जागरूकता आ रही है जिसका उदाहरण इस बार के आंकड़ों से साफ है। प्रदेश में पिछले साल या मौजूदा वित्त वर्ष की बात करें तो सडक़ दुर्घटनाओं में 6.48 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इससे सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यू में भी कमी आई है और आंकड़ा 8.7 फीसदी कमी का सामने आया है। ऐसे में इस साल दिसंबर महीने तक का जो लक्ष्य रखा गया है उसमें सडक़ हादसों को कम करना है और इस दर को पिछले सालों के मुकाबले में 10 फीसदी तक लाना है। ऐसा तभी होगा जब लोग सडक़ सुरक्षा के प्रति गंभीर होंगे।इसी संदेश को देने के लिए परिवहन विभाग ने शिमला के लोक प्रशासन संस्थान हिप्पा में एक कार्यशाला का आयोजन किया था।
इसकी अध्यक्षता निदेशक परिवहन डी.सी.नेगी ने की। कार्यशाला में विभिन्न हितधारक जैसे पुलिस, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, लोक निर्माण, राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण, सीमा सडक़ संगठन, विश्वविद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हुए। कार्यशाला में परिवहन विभाग के निदेशक डी.सी.नेगी ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2024 में गत वर्ष 2023 की तुलना में लगभग 6.48 फीसदी सडक़ दुर्घटनाओं में कमी पाई गई है। इसी तरह से सडक़ दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या में भी लगभग 8.7 फीसदी की कमी पाई गई। इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा सडक़ दुर्घटनाओं व मृतकों की संख्या में 10 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष में सडक़ सुरक्षा पर लगभग 24 करोड़ रूपए की राशि विभिन्न हित धारक विभागों के माध्यम से व्यय किए जाएंगे। इस धनराशि से पुलिस विभाग का आधुनिक उपकरण दिए जाएंगे,ऊना जिला के हरोली में स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाया जाएगा, स्वास्थ्य संस्थानों को आपातकाल की स्थिति में इस्तेमाल होने वाले पर्याप्त एवं आवश्यक उपकरण दिए जाएंगे वहीं सडक़ों के ब्लैक स्पॉट को ठीक करवाया जाएगा। इसके अलावा सभी सरकारी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, स्कूलों व आईटीआई में सडक़ सुरक्षा से संबंधित व्यापक जागरूकता एवं जन चेतना के लिए काम किया जाएगा।नेगी ने कहा कि अब सडक़ दुर्घटनाओं से पीडि़त व्यक्ति को 1.50 लाख तक का मुफ्त इलाज तत्काल प्रभाव से दिया जाएगा। इसी तरह किसी अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर लगने से कोई व्यक्ति मृ़त्यू के मुख में जाता है तो उसके आश्रितों को दो लाख तक की सहायता सरकार देगी। घायल के इलाज के लिए 50 हजार रूपए दिए जाएंगे।
उन्होंने सरकारी विभागों से गुड स्मार्टियन एक्ट के प्रचार प्रसार को कहा। उन्होंने कहा कि सडक़ दुर्घटनाओं के पीडि़तों की मदद के लिए स्वयं आगे आएं। क्योंकि उक्त नियमों के तहत अब ऐसे नेक व्यक्ति को कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है। ऐसे लोग जो दूसरों की सहायता करते हैं उनको सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब स्कूली पाठयक्रम में भी कक्षा 6 से 12वीं कक्षा तक सडक़ सुरक्षा विषय को सम्मिलित किया गया है जिससे बच्चों में सडक़ सुरक्षा के प्रति जागरूकता आए। इस कार्यशाला में अतिरिक्त आयुक्त सडक़ सुरक्षा एस.डी.नेगी, पुलिस महानिरीक्षक गुरदेव चंद शर्मा सहित जिलों के सीएमओ, एएसपी, डीएसपी, उप निदेशक शिक्षा विभाग व सीई, एक्सईएन के साथ कई दूसरे अधिकारी भी शामिल थे। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने सडक़ सुरक्षा के लिए किए जा रहे अपने प्रयासों के बारे में जानकारी दी।
परिवहन निदेशक ने अधिकारियों को पूरे प्रदेश में इस संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए व्यापक कार्यक्रम चलाने को कहा। उन्होंने कहा कि साल भर प्रदेश भर में सडक़ सुरक्षा नियमों पर जागरूकता फैलाने के लिए एक केलेंंडर बनाया गया है जिसका अवलोकन कर उसपर काम किया जाए।
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