पंजाब दस्तक, ब्यूरो; पेयजल आपूर्ति के गड़बड़झाले में अब लोगों को गंदा पानी पिलाने के मामले में विजिलेंस एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है। शुक्रवार को सरकार को रिपोर्ट सौंपी जानी है। इसमें विजिलेंस प्रदेश सरकार से मामला दर्ज करने की सिफारिश करेगी।
विजिलेंस की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में जल शक्ति विभाग के निलंबित इंजीनियरों, ठेकेदारों, चालकों के ब्यान आपस में मेल नहीं खा रहे हैं। विजिलेंस का मानना है कि एफआईआर दर्ज होने पर इस मामले की परतें खुलेंगी। इंजीनियरों, ठेकेदारों और अन्य जल शक्ति विभाग के कर्मचारियों की मिलीभक्त से यह गड़बड़झाला हुआ है। बुधवार को भी विजिलेंस कार्यालय शिमला में पानी के टैंकरों की पड़ताल की गई।जांच रिपोर्ट में टेंडर में भी अनियमितताएं पाई गई है।
जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि लोगों को गर्मियों में गंदा पानी पिलाया गया है। जल शक्ति विभाग के इंजीनियरों ने रिकार्ड तक को मनटेन नहीं किया है। गाड़ियों के नंबर तक गलत दे दिए। चार की जगह पानी के दस टैंकरों के चक्कर बताए गए हैं। जब टैंकरों से पानी की सप्लाई हो रही थी तो उस समय मौके पर जल शक्ति विभाग का कर्मचारी नहीं थे। अपनी मर्जी से ही टैंकरों और पिकअप के चक्कर दर्शाए गए। कार्यालय में ही मौके की रिपोर्ट बनाई गई।
जूनियर इंजीनियर और लिपिक की भी प्रारंभिक रिपोर्ट में लापरवाही सामने आई है। पानी के कई बिल लेलू पुल खड्ड से जहां पानी पहुंचाया जाना है, उस गांव तक बनाए गए हैं। जबकि लेलु पुल से पानी उठाया ही नहीं गया। विजिलेंस की टीम ने लेलू पुल स्थिति पंपिंग स्टेशन में तैनात कर्मचारियों से भी बात की, लेकिन उन्होंने कहा कि यहां से पानी नहीं ले जाया गया है।
बड़ी बात यह है कि जूनियर इंजीनियर और कर्मचारी ने ठेकेदारों के बिल तैयार किए। इन्हें सहायक अभियंता ने भी नहीं देखा, सीधे हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद फाइल अधिशासी अभियंता के पास गई। बिल को वेरिफाई किए बिना उन्होंने भी हस्ताक्षर कर फाइल आगे सरका दी।
टैंकरों के बजाय मोटरसाइकिल पर पानी ढोने का मामला भी इसी एफआईआर में शामिल होगा
टैंकरों के बजाय मोटरसाइकिल और कार में पानी ढोने का मामला भी इसी एफआईआर में शामिल होगा। लोगों को गंदा पानी पिलाना और उनकी सेहत से खिलवाड़ करने को विजिलेंस गंभीर मामला मान रही है।
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