शिमला, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 64 करोड़ रुपये का अपफ्रंट प्रीमियम 29 करोड़ रुपये ब्याज सहित जमा करवाने की कैलकुलेशन शीट मांगी है। हिमाचल भवन दिल्ली की संपत्ति जब्त करने के इस मामले की अब 16 दिसंबर को आगामी सुनवाई होगी।

न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की विशेष खंडपीठ ने सरकार की ओर से जमा करवाई गई धनराशि की कैलकुलेशन शीट को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश करने के आदेश दिए है। सोमवार को सरकार की ओर से दायर की गई अर्जी पर सुनवाई हुई।

सरकार ने इसमें अगस्त 2023 के आदेशों में परिवर्तन करने की गुहार लगाई थी। इसमें अदालत ने सरकार को अपफ्रंट प्रीमियम को ब्याज सहित जमा करने के आदेश दिए थे। सरकार ने अदालत को बताया कि अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर 64 करोड़ रुपये और 29 करोड़ रुपये ब्याज सहित अदालत में जमा कर दिए गए हैं। कुल 93 करोड़ 96 लाख सात सौ साठ रुपये हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराए गए हैं। अदालत ने सरकार को इस मामले में अलग से अर्जी दायर करने के आदेश दिए हैं।

सेली हाइड्रो कंपनी ने सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कंपनी ने सरकार पर आरोप लगाए हैं कि कंपनी की ओर से जमा किया गया अपफ्रंट प्रीमियम वापस नहींं किया गया है। एकल जज की पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को प्रीमियम ब्याज सहित वापस करने के निर्देश दिए थे। सरकार ने एकलपीठ के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी। डबल बेंच ने भी सरकार को इस पैसे को जमा करने के निर्देश दिए।

अदालत के बार-बार समय देने के बाद भी सरकार ने पैसा जमा नहीं किया। सेली कंपनी की ओर से ऊर्जा विभाग के सचिव के खिलाफ अनुपालना याचिका दायर की गई है, उसी केे मद्देनजर न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश पारित किए थे।

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