शिमला, सुरेन्द्र राणा:संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर उचित आमंत्रण नहीं दिए जाने पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सरकार से नाराजगी जताई है। शुक्रवार को राज्यपाल चाैड़ा मैदान में श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उन्होंने राजभवन में ही श्रद्धांजलि दी। राज्यपाल ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के संविधान के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए। संविधान के अनुसार चलने के लिए लोगों को संकल्प लेना चाहिए। राज्यपाल ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि आज संविधान दिवस तो मना रहे हैं लेकिन कुछ लोग बिना वजह के संविधान को हवा में लहराते रहते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि पिछली बार वह जयंती पर चाैड़ा मैदान गए थे। यह कार्यक्रम नगर निगम करता है। उन्हाेंने कहा कि इस बार नगर निगम का एक कार्ड उनके पास आया, जिसमें मुख्यमंत्री को कार्यक्रम में बुलाया है। वही कार्ड उन्होंने (एमसी) हमारे पास भेजा है। मुझे इस संबंध में न तो किसी अधिकारी ने संपर्क किया और न ही मुझे बुलाने की कोई औपचारिकता समझी। ऐसी स्थिति में भारत के नागरिक होने के नाते मैंने उचित समझा कि राजभवन में ही कार्यक्रम मनाना चाहिए। इसमें क्या राजनीति है, मैं इस संबंध में कुछ नहीं जानता हूं। राज्यपाल ने डॉ. आंबेडकर से जुड़ी पंच तीर्थ योजना शुरू करने पर केंद्र सरकार को सराहा भी। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात पर राज्यपाल ने कहा कि पीएम को प्रदेश में नशे के खिलाफ शुरू किए गए अभियान को लेकर जानकारी दी है।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि राजभवन में सरकार का कोई बिल लंबित नहीं हैं। सरकार को ऐसा लगता है तो स्पष्ट करें। उन्होंने कहा कि जो बिल थे उन्हें आपत्तियों के साथ भेजा हैं जबकि विश्वविद्यालय से जुड़े बिल के संदर्भ में मेरा दायित्व है कि सरकार क्या जबरदस्ती कर रही हैं, उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों को वेतन के अलावा कुछ नहीं देती हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय कैसे खर्चा चला पाता है। राज्य सरकार वेतन के 70 फीसदी खर्च का प्रबंध करती है, लेकिन शेष 30 फीसदी का इंतजाम विश्वविद्यालय को अन्य स्रोतों से करना पड़ता है। सरकार के दावों के बावजूद वित्तीय समस्याएं बनी हुई हैं। इसके अलावा नियुक्तियों और अन्य प्रशासनिक निर्णयों में भी देरी हो रही है।
+ There are no comments
Add yours