शिमला, सुरेन्द्र राणा: राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने मादक और मनोविकार रोधी दवाओं की अवैध बिक्री में घिरे बद्दी के एक दवा उद्योग पर कड़ी कार्रवाई करते हुए दवा उत्पादन तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि इस उद्योग की सीआईडी भी विस्तृत जांच कर रही है। उल्लेखनीय है की सीआईडी ने बद्दी के एक उद्योग के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर जांच शुरू की है ।
सीआईडी की जांच में पाया गया है कि हालांकि इकाई के पास ऐसी सभी दवाओं के निर्माण का लाइसेंस था, लेकिन इसकी मात्रा न केवल बहुत अधिक थी, बल्कि व्यापारिक फर्मों द्वारा इसे कई राज्यों में अवैध रूप से बेचा जा रहा था। राज्य सीआईडी द्वारा दी गई सूचना पर कार्रवाई करते हुए सहायक औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने इस फर्म को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियमए 1940 के साथ.साथ मादक पदार्थ और मनोविकार रोधी पदार्थ अधिनियम के तहत दोहरी उपस्थिति वाले सक्रिय दवा अवयवों का उपयोग कर निर्मित किए जा रहे सभी उत्पादों का निर्माण बंद करने का निर्देश दिया है।
प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार इस इकाई द्वारा लगभग तीन से पांच ऐसे उत्पाद निर्मित किए जा रहे थे। अधिकारियों ने फर्म को मामले की जांच लंबित रहने तक निर्मित स्टॉक को न बेचने का भी निर्देश दिया है। फर्म ट्रामाडोल, नाइट्राजेपाम और अल्प्राजोलम जैसे उत्पादों का निर्माण करती है तथा ट्रामाडोल टैबलेट की बिक्री भी जांच के दायरे में है। सनद रहे की ऊना स्थित एक व्यापारी ने ट्रामाडोल की एक बड़ी मात्रा को अन्य राज्यों में भेजा था तथा इसी नेटवर्क का पता लगाने के लिए जांच चल रही थी। स्टेट सीआईडी के मादक द्रव्य निरोधक कार्यबल ने जांच के बाद अक्तूबर में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें पाया गया था कि उक्त इकाई ने कुछ महीनों के भीतर ट्रामाडोल जैसी मनोविकार नाशक दवाओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया था तथा उन्हें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा बिहार जैसे राज्यों में बेचा गया था। इसी बीच कर चोरी के एक मामले की भी जांच की जा रही थी, क्योंकि सीआईडी ने पाया था कि दवाओं की कीमत कम थी। राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने पुष्टि करते हुए कहा कि स्टेट सीआईडी से सूचना मिलने के बाद फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस का जवाब असंतोषजनक पाया गया, जिसके बाद उद्योग को उत्पादन और बिक्री बंद करने का निर्देश दिया गया।