शिमला, सुरेंद्र राणा: उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने नियम 62 के तहत कांगड़ा में पेयजल व सीवरेज योजनाओं को लेकर आए प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में जल शक्ति का डिवीजन खोला जाएगा। राज्य में चार ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पर डिवीजन नहीं है, जिसमें कांगड़ा व डलहौजी भी शामिल हैं।
मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि 12 हजार योजनाएं विभाग चला रहा हैं। पूरे प्रदेश को पानी दिया जा रहा है। पानी के साथ सीवरेज व तटीकरण की सुविधा भी दी जा रही है। 70 लाख लोगों को पानी पहुंचाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन पूर्व सरकार के समय में आया और पाइपें भी उसी सरकार में खरीदी गईं, उनका बंटवारा भी पूर्व सरकार में ही किया गया। उन्होंने कहा कि अब पाइपों की खरीद पर सवाल उठाया जाना उचित नहीं, इस मामले में अब आगे बढऩा चाहिए।
फिना सिंह परियोजना 12 साल से लटकी हुई थी, जिसे भी हमने केंद्र सरकार से मंजूर करवाया है और 300 करोड़ रुपए इसमें मंजूर हुए हैं। सुखाहार योजना में केंद्र हिमाचल की मदद को तैयार हो चुका है। दूसरी योजनाओं पर भी केंद्र से बात की गई है। जलशक्ति में एक भी ऐसी योजना नहीं है, जिसे नाबार्ड को नहीं भेजा गया हो। सडक़ें बनाना हमारा काम नहीं है, बल्कि ग्रामीण विकास व लोक निर्माण विभाग का काम है। हमारे अधिकारी यदि सडक़ें बनाने में फंसे हैं, तो उनकी पेमेंट हम रोक देंगे।
उन्होंने शमशानघाट बनाने या डंगे लगवाने वाले जलशक्ति विभाग के अफसरों को लताड़ा और कहा कि यह उनका काम नहीं है, इसलिए उनके वेतन से पैसा काटा जा सकता है। उन्होंने दो योजनाओं समीरपुर तियारा, दौलतपुर जलाड़ी का जिक्र किया और माना कि अब तक इनको पूरा नहीं किया जा सका है। एक जेई राजेश कुमार की बहने से मौत हुई थी, उनके परिवार को नियमों में छूट देते हुए नौकरी दी जाएगी।
कांगड़ा क्षेत्र की पेयजल योजनाओं का काम पूरा नहीं
विधायक पवन कुमार काजल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र की पेयजल योजनाओं का काम शुरू किया गया था, मगर वह पूरा नहीं हो पाया है। 18 करोड़ से नाबार्ड की सहायता से एक योजना बनाई, जिससे 24 घंटे पानी की सुविधा लोगों को मिलेगी। उन्होंने कुछ गांवों के नाम गिनाए और कहा कि इनके लिए 24 घंटे पानी की योजना पर काम शुरू किया गया था, मगर इस पर काम नहीं हुआ।
इस पेयजल योजना का काम 99 फीसदी हो चुका है, मगर पानी नहीं पहुंचा। कांगड़ा का डिवीजन शाहपुर में है, लेकिन कांगड़ा में नहीं। उनका डिवीजन डिनोटिफाई कर दिया, जिसे दोबारा शुरू किया जाए। सीवरेज सिस्टम पर 2001 में शुरू किया गया था, मगर इसमें भी 95 फीसदी काम ही हो सका है। उन्होंने पेयजल योजनाओं के लिए खरीदी गई पाइपों को लेकर जांच की मांग की।
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