शिमला, सुरेंदर राणा :क्रॉस वोटिंग के बाद छह विधायक छिटकने के बावजूद दो उपचुनाव के बाद कांग्रेस के विधायकों का संख्या बल पूर्ववत 40 हो गया है। इससे अब वर्तमान कांग्रेस सरकार पर कोई संकट नजर नहीं आ रहा है, बल्कि उल्टा सरकार परेशानी से उबर चुकी है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से भाजपा के प्रादेशिक नेता बैकफुट पर हैं। इन तमाम परिस्थितियों में भाजपा के अंदर संगठन में कई स्तरों पर बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। एक तो पार्टी में ऐसे नेताओं की लंबी सूची बन चुकी है, जिन्होंने भितरघात कर नुकसान पहुंचाया। इस पर प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में निर्णय हो सकते हैं। कई जिला और मंडल पदाधिकारियों पर अच्छा प्रदर्शन नहीं करने की गाज गिर सकती है। प्रदेश स्तर के कई नेताओं पर भी निष्क्रियता और असफलता के लिए गाज गिर सकती है।
उपचुनाव के नतीजों के बाद भाजपा का विधानसभा के अंदर तो कोई नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि भाजपा ने विधानसभा में तीन सीटों पर बढ़त ही हासिल की है। विधानसभा में भाजपा का संख्या बल 25 से 28 हो चुका है। जिस तरह की सियासी उठक-बैठक प्रदेश भाजपा के नेता इन उपचुनावों के दौरान करते रहे हैं, नतीजे उसके अनुसार नहीं आए हैं। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व बार-बार हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के गिर जाने का प्रचार करता रहा। यही नहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रादेशिक नेताओं के फीडबैक के चलते राष्ट्रीय नेता भी यह कहने को मजबूर हो गए कि यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चलने वाली है। परिणाम इसके ठीक उलट आए हैं।
+ There are no comments
Add yours