तारा देवी मंदिर से टौर के पत्तलों में लंगर परोसने की शुरुआत, सभी मंदिरों में लागू होगी योजना

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शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल में धाम पहले टौर के पत्तल में परोसी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे इनकी जगह प्लास्टिक की पत्तलों ने ले ली। अब ज्यादातर धाम के आयोजनों में प्लास्टिक की प्लेटों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे प्लास्टिक सेहत को तो नुकसान देता ही है साथ में पर्यावरण के लिए भी प्लास्टिक खतरा है। ऐसे में संस्कृति और धरोहर को सहेजने की दिशा में शिमला के ऐतिहासिक मंदिर तारा देवी में संतुलित पर्यावरण के लिए टौर के पत्तों से तैयार पत्तल में लंगर परोसना शुरू हो गया है। तारा देवी मंदिर में रविवार को श्रद्धालुओं को टौर के पत्तल में लंगर परोसा गया।

इस संबंध में जानकारी देते हुए उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने बताया कि अपनी संस्कृति और धरोहर को सहेजने की दिशा में संतुलित पर्यावरण के लिए तारा देवी मंदिर में टौर के पत्तों से तैयार पत्तल में लंगर परोसा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण के आधीन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सुन्नी खंड में कार्य कर रहे सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन को यह पत्तल बनाने का जिम्मा दिया गया है। उन्हें प्रथम चरण में पांच हजार पत्तल बनाने का ऑर्डर दिया गया था।

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