शिमला, सुरेन्द्र राणा: 10 जुलाई को हमीरपुर में होने वाले उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के साथ-साथ  मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख भी दांव पर लगी नजर आ रही है। हालांकि इस चुनाव से न सरकार को कोई फर्क पड़ेगा, न ही विपक्ष में बैठी भाजपा किसी भी तरह से सरकार बना पाएगी, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जिले में होने वाले इस चुनाव की जहां जीत बड़ी होगी, वहीं हार भी उतनी ही बड़ी होगी।

दरअसल अभी हाल ही में जो छह सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें हमीरपुर जिले में दोनों ही दल बराबरी पर रहे। सुजानपुर से कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन रंजीत राणा जीते, तो बड़सर हलके से बीजेपी के इंद्रदत्त लखनपाल ने विजय हासिल की। गौर हो कि हमीरपुर में कांग्रेस प्रत्याशी डा. पुष्पेंद्र वर्मा के सिर पर मुख्यमंत्री का हाथ है।

देहरा में धर्मपत्नी की चुनाव व्यस्तता के बावजूद सीएम हमीरपुर के लिए पूरा समय निकाल रहे हैं और डा. वर्मा के लिए प्रचार करने के अलावा बीजेपी प्रत्याशी पर एक के बाद एक सियासी हमले कर रहे हैं।

बीजेपी प्रत्याशी आशीष शर्मा की करें, तो पूरा भाजपा संगठन उनके साथ खड़ा नजर आ रहा है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर फरवरी के बाद से उनके अंग-संग हैं। नामांकन प्रक्रिया से लेकर पार्टी प्रत्याशी की जीत के लिए वह फ्रंट फुट पर दिख रहे हैं। हमीरपुर में वैसे भी वह पिछले कुछ समय से खुद को स्ट्रांग करने लगे हुए हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि हमीरपुर उपचुनाव की हार-जीत प्रत्याशियों के अलावा दिग्गजों को भी उनकी जमीनी पकड़ का सही आईना दिखाएगी।

उपचुनाव में बसे बड़ा खतरा दोनों ही दलों में भितरघात करने वाले उन अपनों से है, जो लंबे समय से 2027 के लिए फील्डिंग सजा रहे हैं। क्योंकि जिस भी पार्टी का प्रत्याशी जीतेगा, वहां से कतार में खड़े टिकटार्थियों का अगली बार पत्ता कटेगा।

सुजानपुर में हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा इसका डेमो देख भी चुकी है। यहां लोकसभा के लिए तो भाजपा के पक्ष में खुलकर मतदान हुआ, लेकिन विधानसभा के लिए हाथ को प्राथमिकता दी गई। अब देखना होगा कि 10जुलाई को जनता किसके साथ देती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed