शिमला, सुरेंद्र राणा: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा की कांग्रेस पार्टी 2024 के चुनाव में संविधान की किताब उठाकर घूमती रही, समाज को, देश को बरगलाती रही कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे तो संविधान बदलेगा और एस. सी. एस.टी. और ओ.बी.सी. का आरक्षण खत्म कर देंगे, इस नाम पर बड़ी मात्र में वोट बटोरे जबकि वास्तविकता यह है कि 1947 से लेकर 2014 तक कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार ने 50 से अधिक बार संविधान संशोधन के नाम पर संविधान की मुख्य धाराओं को समाप्त किया, मूल भावना को समाप्त किया जिसका दुष्परिणाम पूरा देश भुगत रहा है। डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी की अध्यक्षता में जो संविधान बना था वो भारत के दूरगामी लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु बनाया गया था परन्तु कांग्रेस की पूर्ववत सरकारों ने वोट के लालच में और अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए, अपनी गद्दी को बचाने के लिए संविधान को अनेक बार खण्डित किया। 25 जून, 1975 का दिन उसी प्रकार का काला दिन है जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने के लिए देश को तानाशाही की तरफ धकेल दिया। 24 जून, की मध्य रात्रि में देश में Internal Emergency आपातकाल लगाकर 25 जून की प्रातःकाल तक देश के सभी बड़े नेताओं को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। 25 जून, 1975 को प्रैस पर सैन्सरशिप लगा दी और बोलने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी और लिखने की आजादी समाप्त कर दी।

मीडिया के जिन लोगों ने कुछ लिखने का साहस किया, उनके अखबार, कारोबार, घर-बार सब पर ताले लगा दिए और उनको काल कोठरी में ठूंस दिया। जेल भरने का यह काम लगातार चलता रहा। देश के जिस छोटे से छोटे और बड़े से बड़े व्यक्ति ने लोकतंत्र के लिए आवाज उठाई, उसी का गला घोंट दिया, भारी यातनाएं दी गई। नये-नये कानून बनाकर लोगों की धर पकड़ करना, मकान और दुकानों को तोड़ना शुरू कर दिया। अत्याचार, अनाचार, भय की कोई सीमा न रही। करोड़ों देशवासियों ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए इस आपातकाल की तानाशही के कारण अपने होठों को ताले लगा लिए। माताओं, बहनों की इज्जत आबरू तार-तार होने लगी। जहां कोई पुरुष-महिला मिली उसे उठाकर गाड़ी में भरकर आपॅरेशन के कैम्पों में डाल दिया। पुलिस के साऐ में लाखों-लाखों लोगों की नसबंदी, नलबंदी कर दी गई। ऐसे दम्पति जिन का अभी विवाह हुआ था और एक भी बालक-बालिका उनके परिवार में नहीं था, उनकी नसबंदी करके उनका जीवन बर्बाद कर दिया। भय का ऐसा माहौल था कि अगर भरे पूरे गांव में एक पुलिसवाला चला जाता था तो पूरा गांव सुनसान हो जाता था।

घरों के दरवाजे अंदर से बंद हो जाते थे और कोई बाहर नहीं निकलता था। इतना भय था कि पुलिस कब किसको उठाकर ले जाएगी, कब किससे फिरौती ले लेगी, कब किस की नसबंदी कर देगी और न्याय की पुकार सुनने वाले न्यायालयों को भी प्रभावित किया गया था। वकील सरकार के खिलाफ केस लेने से डरते थे। यदि एक लाईन में कहा जाए तो कांग्रेस द्वारा लगाया गया यह आपातकाल अंग्रेजों के डर पर शासन से भी ज्यादा कलुषित था, कलंकित था और इस दौरान संविधान की मूल भावनाओं को बदलते हुए अनेक धाराओं में परिवर्तन किया गया।

25 जून, 1975 के आपातकाल को याद करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मूलतः Maintenance of Internal Securtiy Act (MISA) के नाम पर हजारों नेताओं को और हजारों ऐसे लोगों को जो व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस के विरोधी थे, 19-19 महीने जेल की काल कोठरी में डाल दिया गया। जिसने “भारत माता की जय” का नारा लगाया उसको डंडों से, बंदुक के कुंदो से, चमड़े के छित्तर से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया। प्रैस की आजादी को समाप्त करने के विरोध में हमने भी साईक्लोस्टाईल मशीन लगाकर छुपते-छुपाते अखबार छापना शुरू किया और रातों-रात उस अखबार को गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया जाता था। लोकतंत्र को बचाने के इस महायज्ञ में भाग लेने पर हमें भी साढ़े चार महीने हरियाणा की करनाल जेल में हवा खानी पड़ी। जो यातनाएं उस समय श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा दी गई, आज उसको सोचकर भी सिहरन होती है। झूठे मुकद्दमें बनाकर Defence of India Rule (DIR) सैक्शन 33 लगाकर साढ़े चार महीने जेल में बंद रखा। मेरे जैसे डेढ़ लाख लोग भारत की भिन्न-भिन्न जेलों में रहे। अंततोगत्वा, चुनाव घोषित होने पर जनता ने तानाशाही रूपी कांग्रेस को धूल चटाई जिससे लोकतंत्र की पुर्नस्थापना हुई। लोकतंत्र की दुहाई देने वाले कांग्रेस के देशव्यापी नेताओं को 25 जून का दिन और 25 जून के इतिहास को जरूर पढ़ लेना चाहिए। कांग्रेसियों के कुकृत्यों के कारण 800 साल का आजादी का संघर्ष व्यर्थ हो गया था।

यदि देश एक साथ खड़ा होकर आपातकाल का विरोध न करता तो देश दोबारा से गुलाम हो जाता। 25 जून 2024 का कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा स्पष्ट संदेश है कि जिन्होनें लाखों लोगों के बलिदान को व्यर्थ करने का महापाप किया वो संविधान की दुहाई देकर लोगों को बरगलाना बंद करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed