सीएम की एक डोज़ से ‘होश’ में आए डाक्टर

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शिमला, सुरेंद्र राणा: इन दिनों हिमाचल की राजनीतिक का केंद्र बने देहरा विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कूटनीति के आगे विरोध के स्वर रातोंरात शांत हो गए। रोने-डराने और आजाद लडऩे की चेतावनी देने वाले डा. राजेश को न केवल सरेंडर करना पड़ा, बल्कि मुख्यमंत्री के कदम से कदम और शब्द से शब्द भी मिलाना पड़ा। जानकार मान रहे हैं कि सुखविंदर सिंह ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से ही डा. राजेश के तेवरों को शांत कर दिया। दो दिन पहले प्रदेश के सियासी गलियारों में डा. राजेश शर्मा ने आंसुओं की गूंज से देहरा के सियासी माहौल को हवा देने की कोशिश की, लेकिन नामांकन से ठीक पहले सीएम सुक्खू ने डा. राजेश शर्मा को शांत कर दिया। अब सीएम सुक्खू का राजनीतिक कद और भी बढ़ गया है। इससे पहले जब हिमाचल में कांग्रेस सरकार के गिरने का खतरा बना था, तब भी सीएम सुक्खू ने आगे आकर सबको डिफेंड किया। उपचुनाव में प्रचार की कमान भी खुद संभाली और चार विधानसभा सीटे जीत कर हिमाचल में कांग्रेस की सरकार को और मजबूत कर दिया।

देहरा उपचुनाव में डा.राजेश का टिकट कटने के बाद राजेश शर्मा ने आजाद उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया था, लेकिन सीएम सुक्खू ने डा. राजेश को जिस तरह से हैंडल किया, हर कोई उससे हैरान है। यही नहीं, डा. राजेश को शांत करने में सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर की सूझबूझ और हिम्मत ने भी सभी को चौंका दिया। सुबह-सुबह डा. राजेश का उनके देहरा स्थित आवास का खुद दरवाजा खोलकर हैरान कर दिया। डा. को जो तर्क कमलेश ने दिए, उनका उनके पास कोई जवाब नहीं था। इसके बाद सारे गिले-शिकवे भुलाकर डा. राजेश शर्मा कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश ठाकुर के नामांकन में पहुंच गए।

चुनाव लड़ेंगे नहीें, बहन को चुनाव लड़वाएंगे डा. राजेश

डा. राजेश ने कहा कि कमलेश ठाकुर मेरी बहन के समान हंै। उन्होंने कहा कि अपनी बहन के लिए मैंने चुनाव में उतरने का फैसला बदल दिया है। अब वह चुनाव लड़ेंगे नहीं, बल्कि चुनाव लड़वाएंगे। देहरा की जनता के साथ मिलकर वह कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के लिए काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने जो विश्वास जताया है, उस पर वह खरा उतरेंगे। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के सिपाही हैं और अपनी बहन के लिए फील्ड में उतरेंगे।

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