अब तीन उपचुनाव में जीत की राह तलाश रही कांग्रेस

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शिमला, सुरेंद्र राणा: विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की टिकटों पर सस्पेंस बना हुआ है। कांग्रेस ने तीनों सीटों पर अभी तक उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हैं। हाइकमान की मंजूरी के बाद कांग्रेस की टिकटें तय होनी हैं और इसके लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली पहुंच गए हैं। फिलहाल, कांग्रेस की बात करें तो सरकार के पास इस समय 38 विधायक हैं। हाल ही में पूरे हुए छह उपचुनाव में पार्टी ने चार सीटें जीती हैं। भाजपा के पास इस समय 27 सदस्य हैं।

अब देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ में उपचुनाव होने हैं। 2022 कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस दन तीनों सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। कांग्रेस की जीत और हार का सबसे करीबी मुकाबला देहरा विधानसभा क्षेत्र में हुआ था। यहां कंाग्रेस से डा. राजेश निर्दलीय होशियार सिंह के बीच क कड़ा मुकाबला हुआ था। कांग्रेस को इस सीट पर 3877 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। अन्य दोनों सीटों पर बड़ी हार कांग्रेस को झेलनी पड़ी थी।

देहरा में कांग्रेस ने बदले चेहरे, जीत का इंतजार

देहरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने 2022 में यहां टिकट को बदला था, लेकिन पार्टी परिणाम नहीं बदल पाई थी। होशियार सिंह ने एक बार फिर निर्दलीय ही चुनाव जीत लिया। कांग्रेस के लिए इस सीट पर विकल्प के तौर पर डा. राजेश शर्मा इस बार भी टिकट की दौड़ में सबसे आगे हैं। डा. राजेश के अलावा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर का नाम भी देहरा सीट पर चर्चा में आ गया है। इसके अलावा कामगार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव कंवर भी यहां से टिकट की दौड़ में हैं।

नालागढ़ में राणा के आगे फेल हो गए थे कांगे्रस-भाजपा

नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 2022 में यहां कांग्रेस ने यहां एक जमाने में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी रहे बावा हरदीप सिंह को टिकट दी थी, लेकिन बावा हरदीप निर्दलीय केएल ठाकुर से 13 हजार 964 वोट के बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे। भाजपा का वोट बैंक लखविंदर राणा के खाते से खिसक कर केएल ठाकुर के पास चला गया था। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा मतगणना की शुरुआत से आखिर तक दूसरे और तीसरे स्थान के लिए ही संघर्ष करती नजर आई। बावा हरदीप ने 26.85 फीसदी और भाजपा के लखविंदर राणा ने 23 फीसदी मत हासिल किए थे।

इस बार कांग्रेस यहां टिकट बदल सकती है। नालागढ़ सीट का इतिहास देखें, तो यहां वर्ष 2003 से 2022 तक इस सीट पर छह चुनाव हो चुके हैं। इनमें से 2011 में एक उपचुनाव भी हुआ है। इन सभी चुनाव में कांग्रेस ने 2011 का उपचुनाव और इसके बाद 2017 का विधानसभा चुनाव जीते ही हैं। नालागढ़ में कांग्रेस इस बार बावा हरदीप सिंह के अलावा टिकट कटने से नाराज होकर भाजपा में शामिल होने वाले लखविंदर राणा पर भी नजरें टिकाए बैठी है। लखविंदर राणा कांग्रेस में वापसी करते हैं, तो पार्टी उन्हें यहां से उम्मीदवार बना सकती है।

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