शिमला, सुरेंद्र राणा: नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मजबूत होकर लौटे हैं। उन्हें प्रधानमंत्री ने नई सरकार में दो बड़े पोटफोलियो दिए हैं। जेपी नड्डा ने शपथ के समय प्रधानमंत्री के बाद पांचवें नंबर पर शपथ ली थी, जबकि कैबिनेट मिनिस्टर्स में उनका नंबर चौथा था। नड्डा नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं, लेकिन अब तीसरे कार्यकाल में उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार के साथ केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी गई है। जगत प्रकाश नड्डा की जिम्मेदारी का हिमाचल को भी फायदा हो सकता है। पिछले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री होते हुए हिमाचल के बिलासपुर में एम्स लाने में उनका बड़ा रोल था। यह परिसर अभी बन रहा है और पूरी तरह सुचारू नहीं हो पाया है। चुनाव से पहले जेपी नड्डा ने यहां आकर अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों के परिजनों के लिए एक आधुनिक सराय का शिलान्यास भी किया था। अब उनके दोबारा स्वास्थ्य मंत्रालय में आने के बाद न सिर्फ एम्स को पूरी तरह चलने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य के अन्य छह सरकारी मेडिकल कॉलेज को भी मजबूती दी जा सकेगी।
नेशनल हैल्थ मिशन के तहत हिमाचल की डिमांड और बजट में भी फायदा हो सकता है। जगत प्रकाश नड्डा के केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्रालय में आने से राज्य के किसानों की यूरिया सप्लाई पर भी असर नहीं पड़ेगा। हिमाचल में केंद्र सरकार के कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनमें बल्क ड्रग पार्क भी एक है। भारत सरकार में जेपी नड्डा जिस स्थिति में हैं, हिमाचल सरकार भी उनसे मदद ले सकती है। हालांकि हिमाचल में कांग्रेस की अफसरशाही वित्त मंत्रालय में निर्मला सीतारमण के वापस लौटने से ज्यादा खुश नहीं है। इस बार अधिकारियों को उम्मीद थी कि यदि कोई नया वित्त मंत्री बना, तो हिमाचल का पक्ष नए सिरे से रखा जा सकता है। राज्य के अधिकारियों को लग रहा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के बाद निर्मला सीतारमण का रुख हिमाचल के लिए पहले से बन चुका है, जिसमें बदलाव की संभावना अब नहीं है। राज्य सरकार को गृह मंत्रालय पर भी फैसले का इंतजार था, जिसमें दोबारा से अमित शाह को जिम्मेदारी मिली है। इसमें भी दरअसल पोस्ट डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान के हजारों करोड़ रुपए हिमाचल को मिलने की उम्मीद है।
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