पोस्टल बैलेट की गिनती में पीएम मोदी को अजय राय ने छह हजार वोटों से पछाड़ भी दिया था। इसके बाद मोदी आगे निकले तो निकलते ही चले गए। पीएम मोदी ने पहली बार 2014 में वाराणसी को चुना था। तब तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीते। उनके सामने उतरे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दूसरे, सपा के कैलाश चौरसिया तीसरे और कांग्रेस के अजय राय चौथे नंबर पर थे। 2019 में पीएम मोदी दोबारा मैदान में उतरे और एकतरफा मुकाबले में जीत हासिल की। 2019 में सपा की शालिनी यादव दूसरे और कांग्रेस के अजय राय तीसरे नंबर पर थे। इस बार सपा का कांग्रेस को समर्थन था। पिछले दो चुनावों के वोटों की बात करें दो दोनों बार ही मोदी के आने से एकतरफा मुकाबला रहा। 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी को 6 लाख 74 हजार 664 वोट मिले। सपा की शालिनी यादव को केवल 1 लाख 95 हजार 159 वोट ही मिल सके थे। कांग्रेस के अजय राय को 1 लाख 52 हजार 548 वोट मिले थे। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी में 5 लाख 81 हजार वोट मिले थे। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को 2 लाख 9 हजार वोटों से हराया था। कांग्रेस समेत अन्य दलों का कोई प्रत्याशी एक लाख वोट भी नहीं हासिल कर सका था।

वाराणसी में तीन दशक से भाजपा का कब्जा

वाराणसी लोकसभा सीट पर 1991 यानी तीन दशक से भाजपा का कब्जा है। बीच में केवल एक बार 2004 में कांग्रेस ने यह सीट छीनी थी। उस समय यहां से सांसद बने राजेश मिश्रा कुछ दिनों पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे। 2009 के चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे मुरली मनोहर जोशी को यहां भेजा गया। जोशी से मुकाबला मुख्तार अंसारी का हुआ। बेहद करीबी मुकाबले में मुरली मनोहर जोशी यहां से जीत सके थे। तब अजय राय सपा से उतरे और तीसरे स्थान पर रहे थे। 2009 में बीजेपी के डा. मुरली मनोहर जोशी केवल तीस हजार वोटों से ही जीत सके थे। मुरली मनोहर जोशी को 2 लाख 3 हजार 122 वोट मिले थे। बसपा के मुख्तार अंसारी को 1 लाख 85 हजार 911 वोट मिले। सपा के अजय राय को 1 लाख 23 हजार 874 वोट मिले। जबकि निर्वतमान सांसद रहे कांग्रेस के डा. राजेश कुमार मिश्र को केवल 66 हजार 386 वोट ही मिले थे।

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