हमीरपुर, सुरेंद्र राणा: प्रदेश में लोकसभा चुनावों के साथ-साथ उपचुनावों के परिणाम भी मंगलवार को घोषित कर दिए गए। जिला हमीरपुर की बड़सर और सुजानपुर सीट पर हुए उपचुनाव जहां काफी रोचक रहे, वहीं काफी चर्चित भी रहे। इसका एक कारण तो यह था कि यह उपचुनाव मुख्यमंत्री के गृहजिले में उन सीटों पर हुए, जहां जो पहले कांग्रेस के विधायक थे, वहीं, वे इस बार बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। हालांकि चुनावों के दौरान दोनों ही जीत को लेकर आश्वत थे।

दोनों ही तीन-तीन बार से लगातार अपने-अपने हलकों में चुनाव जीत चुके थे, लेकिन मंगलवार दोपहर बाद जब फाइनल रिजल्ट आया, तो बड़सर से बीजेपी प्रत्याशी इंद्रदत्त लखनपाल तो जीत गए, लेकिन सुजानपुर से भाजपा कैंडिडेट राजेंद्र राणा इस बार अपनी सीट नहीं बचा पाए। दरअसल फरवरी में हुए राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग के मामले में कांग्रेस राजेंद्र राणा को सारे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड मानकर चल रही थी। ऐसे में कांग्रेस का राणा को हराने में फोकस होना स्वभाविक था, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि बीजेपी के एक वर्ग को राणा शुरू से ही खटकते रहे। उनके पास यह उपचुनाव अच्छा मौका था राणा को सुजानपुर की पिच से बाहर करने का। उपचुनावों में जिससे जितना बन पाया, उसने उतना काम राणा के खिलाफ किया।

ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि कई वर्षों से सुजानपुर में राणा को ही अपना लीडर मानकर चल रही जनता भी उनके कभी एक पार्टी तो कभी दूसरी पार्टी में जाने के कदम से नाराज चल रही थी। ऊपर से राणा पर यह आरोप लगने लगे थे कि वह हमीरपुर जिला से बनने वाले मुख्यमंत्रियों के खिलाफ काम करते रहे हैं। यह ऐसी वेव थी, जो कि जिला के लोगों के दिल और दिमाग में बैठ गई थी।

बात बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल की करें, तो उनका इतिहास कांग्रेस से जुड़ा रहा। वह भी तीन बार विधानसभा क्षेत्र से लगातार चुनाव जीते। हालांकि जनता उनके भी भाजपा में जाने के कदम से नाराज थी, लेकिन लखनपाल के साथ एक शरीफ और साधारण व्यक्तित्व वाला टैग कई वर्षों से लगा हुआ है। वह तडक़-भडक़ और लाव-लश्कर से कोसों दूर रहते हैं। दूसरा पिछले कुछ दिनों से यह भी बात उठने लगी थी कि लखनपाल तो बीजेपी में नहीं जाना चाहते थे, उन्हें तो राणा ही जबरन लेकर गए। इसका जहां लखनपाल को फायदा मिल गया, वहीं राणा नुकसान में चले गए। एक अन्य कारण जिसे कांग्रेस कार्यकर्ता मान रहे हैं कि ब्राह्मण बहुल इस इलाके में कांग्रेस ने टिकट एक नए और गैर ब्राह्मण चेहरे को देकर भी गलती की।

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