बिजली न होने के कारण जहां बच्चों की पढ़ाई पर असर हो रहा है वहीं इस भीषण गर्मी में बिजली कट लगने से लोगों के फ्रीज बंद रह रहे हैं। वहीं बिजली संबंधित कार्यों भी ठप्प हो रहे हैं। वहीं जंगलों के समीप जिन लोगों के घर है उन्हें भी खतरे के साय में रहना पड़ रहा है। लोग अपने घरों के आस पास व्यवस्था तो बना रहे हैं लेकिन आग की बड़ी लपटों से खतरा पनप रहा है। लगातार जंगलों की आग बढ़ ही रही है। आग को बुझाने के लिए कोई विशेष व्यवस्था भी वन विभाग की ओर से नहीं की गई है। लोग भयभीत हैं। जल्द लपटों पर काबू पाया जाए।
चीड़ के जंगलों में भडक़ रही सबसे ज्यादा आग
शहर से सटे चीड़ के जंगलों में सबसे ज्यादा आग भडक़ रही है। इसका कारण चीड़ की पत्तियां ही है। गर्मियों से पहले वन विभाग का कहना था कि जंगलों में आग न भडक़े इसके लिए व्यवस्था बनाई गई है। लेकिन चीड़ के जंगलों की पत्तियां हटाने का कार्य भी वन विभाग नहीं करवा पाया। आलम यह है कि पूरे शहर के जंगल तबाही की ओर जा रहे हैं। बरसात के दौरान जो नये पौधे भी जंगलों में लगाए गए थे वह भी नष्ट हो रहे हैं।
शहर में फैल रहा धुआं बना स्वास्थ्य के लिए खतरा
जंगल की आग से निकलने वाला धुंआ लोगों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यह धुंआ आम लोगों को बीपी, हार्ट फेल, स्ट्रोक, अधरंग के साथ फेफड़े के कैंसर की जद में ला सकता है। आईजीएमसी के मेडिसिन विभाग के सहायक प्रो. डॉ. उष्येंद्र शर्मा ने बताया कि शहर में इन दिनों आग की घटनाएं अधिक हो रही हैं तो ऐसे में आम जनता को अपने स्वास्थ्य का खास ध्यान रखना चाहिए। श्वास रोग विभाग की ओर से अस्थमा और जिन मरीजों के फेफड़े कमजोर हैं, ऐसे मरीज घरों से बाहर निकलने के दौरान एन-95 मास्क पहनें। आईजीएमसी के पल्मोनरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मलय सरकार ने बताया कि आग के कारण धुएं में पाए जाने वाले सूक्ष्म कण स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। जंगल की आग से ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। चीड़ के पेड़ ऑक्सीजन देते हैं। पर्यावरण को नुकसान होता है।
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