शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनीष गर्ग ने कहा कि मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकारी कार्यालयों, बोर्डों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को मतदान के दिन यानी पहली जून को सवैतनिक अवकाश घोषित किया गया है। राज्य में स्थित निगम, शैक्षणिक संस्थान और औद्योगिक प्रतिष्ठान अपने मताधिकार के अधिकार का प्रयोग करेंगे। यह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक सवैतनिक अवकाश भी होगा और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 25 के अर्थ के अंतर्गत भी होगा। यह भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के निर्देशों के अनुरूप है और एक अधिसूचना भी जारी की गई है।
इस संबंध में हिमाचल प्रदेश सरकार ये निर्देश उन वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों पर भी लागू होंगे, जिन पर परक्राम्य लिखित अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। सीईओ ने कहा कि श्रम आयुक्त-सह-मुख्य कारखाना निरीक्षक ने इस संबंध में सहायक निदेशक कारखाना, ऊना, सोलन और हिमाचल प्रदेश के सभी श्रम अधिकारियों को भी निर्देश जारी किए हैं।
कारखानों के निरीक्षणालय ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 135-बी के प्रावधान की ओर भी अपना ध्यान आकर्षित किया है, जहां मतदान के दिन कर्मचारियों को सवैतनिक अवकाश देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ/डीसी) को यह निगरानी करने के लिए भी निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक कर्मचारी, विशेष रूप से दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों या असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश दिया जाए।
उन्होंने कहा कि किसी व्यवसाय, व्यापार, औद्योगिक उपक्रम या किसी अन्य प्रतिष्ठान में कार्यरत और लोकसभा या विधानसभा के चुनाव के दौरान मतदान करने का हकदार प्रत्येक व्यक्ति को मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश दिया जाएगा। ऐसे अवकाश के कारण ऐसे किसी भी व्यक्ति के वेतन में कोई कटौती या कमी नहीं की जाएगी। यदि कोई नियोक्ता अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
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