शिमला, सुरेंद्र राणा; प्रदेश के तीनों निर्दलीयों विधायकों के पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद राजनीति गर्मा गई है। आजाद विधायक कृष्ण लाल ठाकुर ने इस्तीफा दिया तो नालागढ़ के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गए। पिछले विस चुनाव में सोलन में भाजपा की 5-0 से करारी हार हुई थी और नालागढ़ से भाजपा के बागी केएल ठाकुर ने जीत हासिल की थी। उनका टिकट काटकर भाजपा ने कांग्रेस से लाकर लखविंद्र राणा को दिया था, लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे थे। उसके बाद केएल ठाकुर ने सुक्खू सरकार को समर्थन देकर अपना काम साधा लेकिन राज्यसभा के चुनाव में उन्होंने अपना मत भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को दिया।
भविष्य सुरक्षित करने के लिए ठाकुर ने छोड़ दी विधायकी
जब भाजपा कांग्रेस के 6 बागियों और 3 आजाद के साथ सरकार गिराने में नाकाम रही तो 6 बागियों के क्षेत्र में तो उपचुनाव होना तय हो गया था, लेकिन उनकी सदस्यता को कोई खतरा नहीं था। इसी बीच भाजपा हाईकमान को ऐसी भनक लगी कि तीनों आजाद विधायक पुन: कोई बड़ा पद मिलने पर सरकार के के पाले में जा सकते हैं तो उनको बांधने के लिए पार्टी ने उनके समक्ष आग्रह रखा कि आप अपने अपने पद से इस्तीफा दो और कमल के फूल पर दोबारा चुनाव लड़ें। अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने के लिए केएल ठाकुर ने शुक्रवार को अपनी विधायकी की बलि दे दी।
ऐसे बदले समीकरण
केएल ठाकुर के इस्तीफे से नालागढ़ विधानसभा में सियासी समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधायक लखविंद्र राणा के लिए अब भाजपा में कोई जगह नहीं बची है। उपचुनाव में टिकट केएल ठाकुर को मिलना तय बताया जा रहा है। अब उनके पास एक ही विकल्प है कि वे कांग्रेस में घर वापसी करें। वहां पर पूर्व प्रत्याशी हरदीप बावा पहले से ही हैं और उनका राणा के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा है। केएल ठाकुर के इस्तीफे के बाद नालागढ़ कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है। केएल ठाकुर हरदीप बावा और लखविंद्र राणा को हरा चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में नालागढ़ विस से ताल्लुक रखने वाले एक उच्च अधिकारी अपने पद से वीआसएस लेकर कांग्रेस के बैनर तले चुनाव में उतरने को तैयार हैं।
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