पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा:पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी की घटना के 22 साल बाद शिकायत देने को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए शिकायतकर्ता को फटकार लगाई है।
साथ ही मोहाली की अदालत की ओर से जारी समन आदेश, एडिशनल सेशन जज की अपील खारिज करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सिविल मामले में समय सीमा की बाधा के चलते इसे आपराधिक रंग देने का प्रयास किया गया है।
याचिका दाखिल करते हुए राजेंद्र सिंह भुल्लर ने बताया कि रंजीत सिंह ने 2012 में मोहाली की निचली अदालत में शिकायत दी थी कि याची ने उसके पिता की जमीन अवैध तरीके से बेच दी थी। इस शिकायत के बाद 2017 में याची के खिलाफ समन आदेश जारी किए गए थे। इस आदेश के खिलाफ एडिशनल सेशन जज के पास अपील की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। याची ने बताया कि उस पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याची के खिलाफ 1990 में हुई सेल डीड में धांधली की शिकायत 2012 में लगभग 22 साल बाद की गई। इसके बाद भी मामला लंबित रहा और 2017 में लगभग 27 साल बाद अदालत ने याची को समन आदेश जारी कर दिए। इस देरी के लिए कोई भी स्पष्टीकरण मौजूद नहीं है और ऐसे में यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
हाईकोर्ट ने कहा कि विवाद पूरी तरह से सिविल है, लेकिन सिविल केस दाखिल करने की तय अवधि निकल जाने के चलते इसे आपराधिक रंग देने का प्रयास किया गया। याची के पास कोई जवाब नहीं है कि अभी तक उसे अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग करने से किसने रोका था। हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के दुर्भावनापूर्ण एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कानूनी उपायों का अनुचित लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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