प्रदेश सरकार का दोहरा रवैया: सरकार कर्मचारियों के पेंशन संबंधित सैंकड़ों मामले लंबित,  सेवानिवृत्त जजों को 1 जनवरी, 2016 से मिलेंगे संशोधित पैंशन व अन्य लाभ

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शिमला, सुरेंद्र राणा: सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना में सेवानिवृत्त जजों को 1 जनवरी, 2016 से संशोधित पेंशन व अन्य जब सेवानिवृत्ति लाभ दिए जाने का फैसला लिया गया है। इस बाबत गृह विभाग की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिसूचना के अनुसार जो जज 1 जनवरी 2016 से पहले या बाद में सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें संशोधन पेंशन का लाभ दिया जाएगा। इसके अलावा उनकी पेंशन में 70 से 80 वर्ष की आयु पूरी करने तक 20 फीसदी 80 से 85 वर्ष की आयु पूरी करने तक 30 फीसदी, 85 से 90 की आयु तक 40 फीसदी, 90 से 95 वर्ष की आयु तक 60 फीसदी 95 में 100 वर्ष की आयु तक 80 फीसदी 100 वर्ष की आयु पूरी करने पर 100 फीसदी इजाफा हो जाएगा। ग्रेच्युटी की सीलिंग लिमिट 10 लाख से बढ़कर 20 लाख रुपए कर दी गई है। संशोधित पेंशन का भुगतान 1 जनवरी 2016 भुगतान 2016 से दो किस्तों में कर दिया जाएगा। 50 फीसदी 6 दिसम्बर 2023 तक तथा बकाया 50 फीसदी पेंशन संशोधित पेंशन का भुगतान 31 दिसम्बर 2023 तक कर दिया जाएगा। संशोधित कॉम्यूटेशन पेंशन का एक साथ भुगतान 31 दिसम्बर, 2023 तक कर दिया जाएगा। एक जनवरी 2016 में पूर्व जजों की पेंशन में संशोधन संबंधित ट्रेजरी डिपार्टमेंट द्वारा किया जाएगा।

वही सचिवालय सेवानिवृत कर्मचारी संघ व अन्य कर्मचारी संगठनों ने इस पर विरोध जताते हुए कहा है कि सरकार कर्मचारियों की पेंशन संबंधी देनदारी को लेकर दोहरे मापदंड अपना रही है। अफसरशाही हो न्यायालय या फिर प्रदेश का कोई भी छोटा बड़ा कर्मचारी सभी को उसके समान हक दिए जाने चाहिए। सेवानिवृत कर्मचारी इसको लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं लेकिन सरकार अभी भी उन्हें अनदेखा कर रही है। प्रदेश सरकार क्या अन्य कर्मचारियों की इसी मांग को अनदेखा कर न्यायालय के दबाव में इस तरह के फैसले ले। रही है। उन्होंने कहा है कि वे इसका विरोध नहीं करते बल्कि उनके इसी मांग को पूरा करने के लिए आवाज। मुखर। करती है।

गौरतलब है कि प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष सैंकड़ों मामले संशोधित पैशन व अन्य सेवानिवृति लाभ को लेकर दायर किए गए हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय में अनेक मामलों में कर्मचारियों व अधिकारियों को संशोधित पैशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान 6 फीसदी ब्याज सहित करने का निर्णय पारित किया है। राज्य सरकार इन आदेशों की अनुपालना करने की बजाय पुनर्विचार याचिका में चली गई है। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई 26 फरवरी 2024 को संभावित है।

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