पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा:वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू की पंजाब की राजनीति में वापसी ने पार्टी के भीतर बढ़ती दरार को उजागर कर दिया है। सिद्धू मालवा में आठ हजार कार्यकर्ताओं की रैली करने के बाद अब दोआबा व माझा में भी अलग अखाड़ा लगाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी टीम को सक्रिय कर दिया है। इस बीच सिद्धू के निकटवर्ती गौतम सेठ की शिकायत पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पंजाब इकाई से तत्काल विस्तृत रिपोर्ट मंगवा ली है।
उन्होंने बयान में कहा कि सिद्धू तहखाने में रखा एक बम है, जो फटने का इंतजार कर रहा है। सिद्धू ने निकटवर्ती कांग्रेस नेता गौतम सेठ की पोस्ट को दोबारा साझा किया, जिन्होंने उनका समर्थन किया और बाजवा की टिप्पणियों को अवांछित और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। सिद्धू ने सीधे पोस्ट के जरिए अपनी आलोचना जारी रखी और कहा कि पंजाब में कांग्रेस का एजेंडा व्यक्तिगत नेताओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि 8,000 समर्थकों के लिए बाधा क्यों बनें और उन्हें सुविधा क्यों न दें? क्या पंजाब के लोग आपकी पार्टी के एजेंडे में विश्वास करते हैं और आपको एक विकल्प मानते हैं? यही सब मायने रखता है। पिछले महीने सिद्धू ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से भी मुलाकात की थी और पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति और राज्य के वित्तीय संकट के बारे में एक ज्ञापन सौंपा था।
कांग्रेस हाईकमान के उच्चपदस्थ नेताओं के मुताबिक सिद्धू के खिलाफ तो कैप्टन की पूरी टीम व तमाम मंत्रियों ने हाईकमान को लिखकर भेजा था कि सिद्धू अलग चलते हैं उनको निकाला जाए तब कैप्टन सीएम थे। तब कोई एक्शन नहीं हुआ, अब क्या होगा ? अब तो कांग्रेस सत्ता से बाहर है। सिद्धू गुट के तनाम नेताओं नाजर सिंह मानशाहिया समेत अन्य का कहना है कि बाजवा पिछले महीने राज्य में मौजूदा सरकार से मुकाबला करने के लिए एक भी रैली आयोजित करने में विफल रहे हैं। गौतम सेठ का कहना है कि सिद्धू ने रैली कर केंद्र व पंजाब की आप सरकार पर निशाना साधा लेकिन इससे तकलीफ बाजवा व उनके साथियों को क्यों हुई? यह समझ से परे है।
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