शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश के 13 पुराने कानून अब खत्म हो गए हैं। सुक्खू सरकार के प्रस्ताव पर मानसून सत्र में विधानसभा में पारित किए हिमाचल प्रदेश निरसन विधेयक-2023 ने अब कानून का रूप ले लिया है। इसे राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मंजूरी दे दी है, जिसे गुरुवार को अधिसूचित कर दिया गया। इसके तहत हिमाचल प्रदेश के 13 अधिनियमों को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया था। इनमें से तीन कानून अंग्रेजों के जमाने के बने हुए हैं। अन्य डॉ. वाईएस परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह और प्रेमकुमार धूमल सरकार के समय के बने या लागू हुए हैं। सरकार ने एक्ट को पुराने और अनुपयोगी बताया था।
ये कानून हुए खत्म
ये अधिनियम प्रेसिडेंसी लघुवाद न्यायालय अधिनयम 1882, कृषक उधार अधिनियम 1884, प्रांतीय लघुवाद न्यायालय अधिनियम 1887, मंडी लघु वन उपज दोहन एवं अधिनियम 1997, चंबा लघु वन उपज दोहन एवं नियति अधिनियम 2003, पंजाब तंबाकू विक्रेता फीस निरसन अधिनयम 1953, हिमाचल प्रदेश वैयक्तिक वन अधिनियम 1954, पंजाब श्रम कल्याण निधि अधिनियम 1965 और पंजाब वृत्ति, व्यापार, आजीविका और नियोजन कराधान (हिमाचल प्रदेश निरसन) अधिनियम 1968 हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश वन परिरक्षण और वन पर आधारित आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम 1984, हिमाचल प्रदेश निक्षेपकों के हित का (वित्तीय स्थापना में) सरंक्षण अधिनियम 1999, हिमाचल प्रदेश सह चिकित्सीय परिषद अधिनियम 2003 और हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक अधिकरण (विनिश्चित, लंबित मामलों तथा आवेदनों का अंतरण) अधिनियम 2008 हैं।
+ There are no comments
Add yours