पंजाब दस्तक:कैलिफोर्निया स्थित स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी रिसर्च और इनोवेशन के आधार पर हर साल दुनिया के टॉप दो फीसदी वैज्ञानिकों की सूची जारी करती है। इसमें लाखों वैज्ञानिक शामिल होते हैं। दो फीसदी वैज्ञानिकों की सूची में इस बार पीयू के 18 और पीजीआई के 23 वैज्ञानिक शामिल हैं। इन वैज्ञानिकों को उनके जीवन भर के शोध और साइटेशन के आधार पर सूची में शामिल किया गया है
पीयू के ये वैज्ञानिक हैं 2 प्रतिशत की सूची में शामिल
यूआईपीएस के भूपिंदर सिंह भूप, एसके कुलकर्णी, इंदुपाल कौर, कंवलजीत चोपड़ा, ओपी कटारे, अनुराग कुहड़, वीआर सिन्हा, रेणु चड्ढा, अनिल कुमार, शोधार्थी गरिमा शर्मा और गजानंद शर्मा हैं। फिजिक्स के एमएम अग्रवाल, एसके त्रिपाठी है। बॉटनी के हर्ष नय्यर, डेजी रानी बतिश, संतोष कुमार उपाध्याय हैं। केमिस्ट्री के सोनल सिंघल, सुरिंदर कुमार मेहता, गुरजसप्रीत सिंह और नवनीत कौर हैं। यूआईसीईटी के सुशील कुमार कंसल, संजीव गौतम, गार्गी घोषाल हैं। पर्यावरण विभाग के हरमिंदर पाल सिंह और सुमन मोर हैं। माइक्रोबायोलॉजी के संजय छिब्बर, एंथ्रोपोलॉजी के केवल कृष्ण, गणित के सुशील के तोमर, बायोकेमिस्ट्री के रजत संधीर, फॉरेंसिक साइंस के विशाल शर्मा, श्वेता शर्मा हैं। यूआईईटी के विशाल गुप्ता शामिल हैं।
पीजीआई के ये वैज्ञानिक हैं सूची में शामिल
पीजीआई के रविंद्र खैवाल, रीतेश अग्रवाल, रिमेश पाल, संदीप ग्रोवर, आशुतोष नाथ, अनिल भंसाली, अजय कुमार दुसेजा, अजीत अवस्थी, शिवप्रकाश एम रूद्रामूर्थी, जरनैल सिंह, राधाकृष्ण धीमान, प्रवीन कुमार, जोसेफ एल मैथ्यू, आमोद गुप्ता, वैशाली गुप्ता, प्रणब डे, पंकज गुप्ता, सुरजीत सिंह, धरमबीर कश्यप, सुनील डोगरा, आशीष भल्ला, बिकेश मेढी, मनदीप एस ढिल्लन, सुरिंदर राणा, इंदरपाल सिंह सहगल, विशाल शर्मा, लेखा साहा, मनिंदर कौर, शंकर प्रिंजा, सहजल धूरिया, राजेश कुमार, विकाश गुप्ता, प्रभजोत कौर, उषा दुत्ता, सुरेश के अंगुराना, राजेश कुमार, दविंदर प्रसाद, निरंजन खंडेलवाल, नलिनी गुप्ता, बाबूराम थापा, आनंद एन मालवीय, मीनू सिंह, अशोक कुमार पन्नू, शोभा सहगल शामिल है।
ऐसे होता है विश्व के टॉप वैज्ञानिकों का चयन
यह सूची किसी भी वैज्ञानिक के रिसर्च के आधार पर बनाई जाती है। इसमें नामांकन की कोई प्रक्रिया नहीं होती है। सारा डाटा ऑनलाइन जुटाया जाता है। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रो. जॉन पीए लोंनिडिस ने इस प्रोजेक्ट के तहत किसी वैज्ञानिक के प्रभाव की गणना करने के लिए एक विशेष मैट्रिक्स बनाया है। इसके तहत वैज्ञानिकों को 22 क्षेत्रों में रखा गया है और इसकी 174 उप-क्षेत्र बनाए गए हैं। जिन वैज्ञानिकों ने कम से कम 5 पेपर प्रकाशित किए हैं, उन्हें ही इसी प्रक्रिया में शामिल किया गया है। प्रत्येक 174 उप-क्षेत्र में प्रकाशित हो चुके एक लाख वैज्ञानिकों का नाम इसमें शामिल किया गया है। इस प्रकार 1.74 करोड़ वैज्ञानिकों की जानकारी जुटाई गई है। इनमें से जो 22 क्षेत्र हैं, उनके टॉप 2 फीसदी वैज्ञानिकों का नाम लिया गया है और उनमें से जिन वैज्ञानिकों का नाम 3 से अधिक क्षेत्र में शामिल हो, उन्हें सर्वाधिक प्रभावशाली माना गया है।
+ There are no comments
Add yours