शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल को हरित और स्वच्छ प्रदेश बनाने के लिए मकसद से भारतीय उद्योग परिसंघ की ओर से पावर कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। हिमाचल में हरित ऊर्जा के लिए अपार प्राकृतिक संसाधन मौजूद है। हिमाचल हरित और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक रोल मॉडल बन सकता है, राज्य सरकार ने कई सार्थक कदम उठाए हैं, लक्ष्य की पूर्ति के लिए निवेशकों से लिए नीतियों में बदलाव किया गया है। कॉन्क्लेव में मिलकर चुनौतियों से पार करने और भारत सरकार ने बीते 9 वर्षों में इस क्षेत्र में क्या कार्य किया इस पर चर्चा की गई।
उद्योगपतियों ने कॉन्क्लेव में टैक्स का मुद्दा उठाया, उद्योगपतियों को मल्टीपल टैक्स में रियायत देने की बात कही। उद्योगपतियों का मानना है कि हिमाचल में जलविद्युत क्षमता का प्रकृति के सरंक्षण के साथ दोहन करना जरूरी है, प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम हमने देखा और भुगता है, प्रकृति का संरक्षण जरूरी है लेकिन डयूटी और वाटर सेस से उद्योगपति के सामने कई चुनौतियां है। इसको लेकर राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा गया है। उनका कहना है कि विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों को मिलने वाली सब्सिडी सरकार जारी रखे। सरकार के साथ मिलकर लक्ष्य को हासिल करेंगे। उद्योगपतियों ने बताया कि हिमाचल मे जल विद्युत की तरह ही सौरभ उसका की अपार संभावनाए है मगर पहाड़ों राज्य होने के कारण यहां उद्योग स्थापित करने और चलाने में अलग परेशानियां और अधिक निवेश है जिसके चलते सरकार की नीतियों और दी गई रिया आए थे उद्योगों को प्रदेश की ओर अधिक आकर्षित करेगी।
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