शिमला, सुरेन्द्र राणा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने के आवेदन की पैरवी करने के लिए कोर्ट मित्र को नियुक्त किया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 16 अक्तूबर को निर्धारित की है। सरकार ने विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को खत्म करने के लिए आवेदन दायर किया है।
गृह विभाग ने अदालत से 65 अभियोगों को वापस लेने की अनुमति मांगी है। आवेदन के माध्यम से अदालत को बताया गया कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत विधायकों के खिलाफ प्रदेश के 10 जिलों की अदालतों में अभियोग चल रहे हैं। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से पूछा था कि माननीयों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले किस नियम के तहत वापस होंगे।
अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह संबंधित नियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अदालत के समक्ष पेश करें। सरकार ने आवेदन के माध्यम से दलील दी है कि विधायकों पर राजनीतिक द्वेष के कारण ये आपराधिक मामले दर्ज किए गए है। वर्तमान और पूर्व विधायक के खिलाफ दर्ज किए गए ये मामले राजनीतिक विरोध से जुड़े हैं। किसी भी विधायक के खिलाफ गंभीर अपराध की सिफारिश नहीं की गई है।
आवेदन के माध्यम से अदालत को बताया गया है कि यह आवेदन कानून की पुष्टि से असंबद्ध किसी गुप्त उद्देश्य से दायर नहीं किया गया है। आवेदन सार्वजनिक नीति और न्याय के हित में अच्छे विश्वास से किया गया है, न कि कानून की प्रक्रिया को विफल करने या दबाने के लिए। अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत विधायक और सांसद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष न्यायाधीशों को नियुक्ति किया गया है। अभी तक सिर्फ सात मामलों का निपटारा किया गया है।
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